Wednesday, May 8, 2024

हड्डियों का रोग-ऑस्टियोपोरोसिस

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पचास वर्षीय मिसेज झा उस दिन ‘बोन डेन्सिटी टेस्ट’ करवा के आई तो अगले दिन किट्टी पार्टी में उन्होंने सभी उम्रदराज महिलाओं को उसके लाभ बताते हुए यह टेस्ट करवाने की राय दी।
महिलाओं में इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ये टेस्ट क्यों जरूरी हैं और इसके क्या फायदे हो सकते हैं। मिसेज नैथानी द्वारा इसके लक्षण पूछे जाने पर मिसेज झा ने बताया कि इसके ऐसे कोई भी स्पष्ट लक्षण नहीं होते जिनसे कि आपको रोग के बारे में पता चल जाए।

दरअसल यह एक साइलेंट डिजीज है। आपको स्वयं ही इसके बारे में सतर्क रहना है। उन्होंने आगे बताया लोगों में यह गलतफहमी है कि यह एक बुढ़ापे का रोग है लेकिन ऐसा नहीं है किसी भी उम्र का व्यक्ति इसकी गिरफ्त में आ सकता है।
बीमारी हड्डियों को खोखला कर देती है। ऑस्टियोपोसिस के मरीज ‘फ्रेक्चर प्रोन’ हो जाते हैं। जरा सा गिरे, चोट लगी, टक्कर लगी कि फ्रेक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है। हड्डी के ऊतकों के मजबूत न रहने से अक्सर कूल्हें, रीढ़ की हड्डी टूटने के चांस बढ़ जाते हैं।

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कारण और निवारण
हड्डियों की मजबूती भी वंशानुगत कही जा सकती है। जैसे कद काठी जेनेटिक होती है ठीक वैसे ही ऑस्टियोपोसिस, इसलिए वंशानुगत कारणों से भी पनप सकता है। पतली और छोटे कद की महिलाएं, मोटी महिलाओं के मुकाबले इस रोग की चपेट में ज्यादा आई रहती हैं।

सामान्य कम उम्र में हुआ मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) या हिस्टेक्टॉमी (यूट्रेसरिमूवल) के कारण हुआ मेनोपॉज भी इस रोग का कारण बन सकता है।
हड्डियों के कमजोर होने का एक कारण कैल्शियम की कमी भी है। इसके अलावा समयपूर्व मासिक धर्म का रूक जाना या बिलूमियां जैसी समस्या भी इस रोग को आमंत्रित कर सकते हैं।

महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी जो कि मेनोपॉज के कारण आ जाती है, भी हड्डियों के कमजोर और खोखली होने का सबब बन जाती हैं। एस्ट्रोजन के होने से नई हड्डी को बनाने वाले ऊतकों के मुकाबले पुरानी हड्डी को हटाने वाले ऊतक महिलाओं के शरीर में ज्यादा सक्रियता दिखाने लगते हैं। इस कारण हड्डियों का डिसइंटेग्रेशन होने लगता है। इसीलिए एस्ट्रोजन की कमी को आधे से अधिक ऑस्टियोपोरोसिस के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

पुरूषों में टेस्टोस्टेरोन (शुक्रगं्रथियों से उत्पन्न हार्मोन) के लेवल में कमी आने के कारण तथा मादक पदार्थों के सेवन के कारण यह रोग घर करने लगता है।
यह रोग तुलनात्मक रूप से आधुनिक युग की देन कहा गया है। आज की आरामदेह जिंदगी, शरीर को लगातार काफी समय तक टीवी कंप्यूटर के आगे निष्क्रिय रखना, जंकफूड का सेवन आदि ऐसी बातें हैं जो हैल्थ पर बुरा असर डालती हैं। आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस को बढ़ावा देती हैं।

ऑस्टिोयोपोरोसिस के लिए दी जाने वाली दवाओं को दो केटगरी में बांटा गया है। पहली केटगरी की दवाएं हड्डियों के विरलीकरण पर रोक लगती हैं जिन्हें ‘एंटीरिजोप्र्शन ड्रग्स’ कहा जाता है। दूसरी श्रेणी की ड्रग्स जो हड्डियों को बनाने में सहायक हैं उन्हें बोन फार्मिंग ड्रग्स कहा जाता है। शहरों में पढ़ी-लिखी महिलाओं में अब काफी हद तक हैल्थ कांशियसनेस आ गई है।

वे रैग्यूलर मेडिकल चैकअप भी कराने लगी हैं और प्रापर ट्रीटमेंट भी लेने लेगी हैं, इसीलिए उनमें अब औसत उम्र भी बढ़ गई है लेकिन फिर भी अभी इस दिशा में जागरूकता की काफी कमी है, गांवों कस्बों में खास तौर से। कुछ सामान्य बातें सभी महिलाएं इस रोग से बचने के लिए फॉलो कर सकती हैं। सबसे जरूरी है संतुलित भोजन जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी ज्यादा हो। मादक पदार्थों के सेवन से बचें। हल्का वजन उठाने का तथा शक्ति भर दूसरे व्यायाम भी करें। नृत्य भी एक अच्छा संपूर्ण व्यायाम है।

मेनोपॉज के बाद बोन डेंसिटी टेस्ट जरूर करा लें। मेनोपॉज प्राकृतिक नियम है। इसके साथ एक औरत को शारीरिक और मानसिक  स्वास्थ्य को लेकर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन उसका निदान भी है। आजकल महिलाएं जवान बने रहने तथा ऑस्टियोपोरोसिस के लिए भी एच.आई.वी (हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) लेने लगी हैं। ट्रीटमेंट कोई भी हो, डाक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।
– उषा जैन ‘शीरीं’

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