मनरेगा के लिए लड़ी थी और अब इसे खत्म करने के खिलाफ भी लड़ूंगी : सोनिया
नयी दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि मनरेगा की जगह नया कानून लाकर उसने गरीबों के रोजगार के अधिकार को छीना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार 11 साल से इस कानून को कमजोर करने का लगातार प्रयास करती रही है और अब उसने गरीबों के रोजगार के लिए बने इस कानून को ही खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह गरीबों को यह अधिकार दिलाने के लिए लड़ी थीं और अब इसे खत्म कर गरीबों का अधिकार छीनने के खिलाफ भी लड़ेंगी।
उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह शुरु से ही इस योजना को महत्व नहीं दे रही है और पिछले 11 साल में उसने ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार, गरीबों और वंचितों के हितों को नजरअंदाज कर मनरेगा को कमजोर करने की हर कोशिश की जबकि कोविड के वक़्त ये गरीब वर्ग के लिए संजीवनी साबित हुआ। अफसोस इस बात का है कि अभी हाल में सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया। इस योजना से न सिर्फ महात्मा गांधी का नाम हटाया बल्कि मनरेगा का रूप-स्वरुप भी बिना विचार-विमर्श, बिना किसी से सलाह-मशवरा और विपक्ष को विश्वास में लिए बिना मनमाने ढंग से बदल दिया गया।
अब किसको, कितना, कहां और किस तरह रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर सरकार तय करेगी। कांग्रेस का मनरेगा को लाने और लागू करने में बड़ा योगदान था, लेकिन यह पार्टी से जुड़ा मामला कभी नहीं रहा बल्कि यह देशहित और जनहित से जुड़ी योजना थी। मोदी सरकार ने इस कानून को कमजोर करके देश के करोड़ों किसानों, श्रमिकों और भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर हमला किया है।
उन्होंने कहा "इस हमले का मुकाबला करने के लिए हम सब तैयार हैं। बीस साल पहले अपने गरीब भाई-बहनों को रोजगार का अधिकार दिलवाने के लिए मैं भी लड़ी थी, आज भी इस काले कानून के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरे जैसे कांग्रेस के सभी नेता और लाखों कार्यकर्ता आपके साथ खड़े हैं।"
