लंदन। पिछले कुछ समय से दंगे की आग में झुलस रहा ब्रिटेन अब वापस पटरी पर लौटने लगा है। अधिकारियों ने बताया कि कई दिनों के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद ब्रिटेन में सार्वजनिक व्यवस्था में पहले से सुधार हुआ है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी है कि अशांति का प्रभाव महीनों और सालों तक महसूस किया जाएगा।
नेशनल पुलिस चीफ्स काउंसिल (एनपीसीसी) फॉर पब्लिक ऑर्डर के प्रमुख बी.जे. हैरिंगटन ने रविवार को कहा, “इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में स्थिति पिछले कुछ दिनों में कुछ स्थिर हुई है।” शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, उन्होंने चेतावनी दी कि उत्तरी आयरलैंड अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है, जहां शनिवार दोपहर को एक हिंसक उपद्रव के दौरान पेट्रोल बम से हमला किया गया। इसमें 10 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। दरअसल, दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड के साउथपोर्ट में जुलाई के अंत में चाकू घोंपकर तीन बच्चों की हत्या कर दी गई थी।
इस घटना ने हिंसा का रूप ले लिया और देखते ही देखते ब्रिटेन में कई जगह पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए। दंगे में पुलिस अधिकारियों को भी चोट आई। यही नहीं दुकानों को भी लूटा गया और शरणार्थियों को रखने वाले होटलों पर हमले हुए। अधिकारियों का मानना है कि प्रमुख शहरों और कस्बों में भारी पुलिस बल की तैनाती और दंगाइयों के खिलाफ त्वरित अदालती कार्रवाई के कारण बुधवार के बाद से स्थिति में सुधार हुआ है। लंदन, न्यूकैसल, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, कार्डिफ, बेलफास्ट, ग्लासगो और एडिनबर्ग जैसे शहरों में हजारों लोगों ने नस्लवाद विरोधी रैलियों में हिस्सा लिया।
न्याय सचिव शबाना महमूद ने द ऑब्जर्वर में लिखा है कि इस अव्यवस्था का असर आने वाले महीनों और सालों तक महसूस किया जाएगा। नेशनल पुलिस चीफ्स काउंसिल ने शनिवार को बताया कि दंगों के बाद से 779 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 349 पर आरोप तय किए गए हैं। अब तक करीब 30 लोगों को हिंसक उपद्रव या ऑनलाइन नस्लीय घृणा भड़काने के आरोप में जेल भेजा गया है, जिसमें सबसे लंबी सजा तीन साल की है।