गाजियाबाद। सर्द हवाओं से कान में दर्द और बधिरपन की परेशानी बढ़ गई है। एमएमजी अस्पताल में रोजाना 35 से 40 ऐसे मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं, जो डॉक्टरों को बताते हैं कि सर्दी लगने के बाद सुनाई देना बंद हो गया है या कान में दर्द हो रहा है। इसके अलावा सप्ताह में पांच से सात मरीज पक्षाघात (लकवा) के भी आ रहे हैं लेकिन इलाज की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें रेफर कर दिया जाता है।
मुजफ्फरनगर में डीएम की प्रोफाइल पिक्चर लगाकर रुपए मांगने का प्रयास, साइबर अपराधियों का दुस्साहस
एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा का कहना है कि सर्दी के मौसम में अस्थमा, हार्ट अटैक के लकवा के मरीज भी बढ़े हैं। यह परेशानी मधुमेह और रक्तचाप के मरीजों में अधिक आ रही है। लकवा आने पर मरीज को बात करने और हाथ-पैर चलाने में तकलीफ होती है। मरीज को खड़े होने में दिक्कत होती है, वह अपने शरीर की पोजीशन भी नहीं बदल पाता है।
नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ. नृपेन विश्नोई ने बताया कि सर्दी बढ़ने के बाद कान के दर्द और बधिरपन के मरीज बढ़े हैं। सर्दी में ठंडी हवा लगने से दर्द कान से शुरू होकर नाक तक पहुंच सकता है। कान के अंदर की बनावट बेहद नाजुक होती है। इसकी नसें हमारे दिमाग और गले से होकर गुजरती हैं। डॉ. नृपेन ने बताया कि कान से गले तक जाने वाली यूस्टेशियन ट्यूब की मदद से बैक्टीरिया नाक तक पहुंच जाते हैं।
मुजफ्फरनगर में बिना लाइसेंस के औषधि विक्रय प्रतिष्ठान पर छापामार कार्रवाई
न्यूरोफिजिशयन डॉ. राकेश कुमार सिंह का कहना है कि तापमान में गिरावट की वजह से लोगों के शरीर का रक्त संचार ठीक तरह से नहीं हो रहा है। इस वजह से सर्दी में सबसे अधिक लकवा यानी कि पैरालिसिस अटैक सामान्य व्यक्तियों को भी आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सप्ताह में तीन से पांच मरीज लकवा के आ रहे हैं। मधुमेह और रक्तचाप के मरीजों में यह खतरा अधिक है।
डॉ. राकेश का कहना है कि धूम्रपान और नशे की वजह से लकवे का खतरा युवाओं में बढ़ा है। रोजाना लकवा के शिकार दो-तीन मरीज इस मौसम में आ रहे हैं। सर्दी के मौसम में रक्तचाप और मधुमेह के मरीजों को अपनी दवाइयां का विशेष ख्याल रखना चाहिए। समय-समय पर थेरेपी लेनी चाहिए। युवाओं को नशा करने वाली चीजों से दूरी बनानी चाहिए।