Wednesday, May 8, 2024

बसपा को लेकर अखिलेश के रूख में आया बदलाव ?

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को यह कहना कि मायावती के बारे में कोई गलत टिप्पणी न करें, को लेकर अनेक अटकलें  लगाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार मायावती की संभावित इंडिया गठबंधन में इंट्री को देखते हुए अखिलेश यादव ने यह बड़ा निर्णय लिया है।

बताया जाता है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडिया गठबंधन में जारी सीट बंटवारे को लेकर हो रहे मंथन के बीच मंगलवार को लोकसभा के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को लेकर सीट बंटवारे पर चर्चा हुई थी, जिसमें कांग्रेस और एसपी के नेता शामिल थे। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल किए जाने की मांग और चर्चाओं के बीच मंगलवार को दोनों दलों की बैठक हुई जिसमें सीट बंटवारे को लेकर शुरुआती बातचीत हुई।

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कांग्रेस महासचिव व पार्टी के गठबंधन समिति के मुकुल वासनिक सरकारी आवास पर यह बैठक हुई, जिसमें वासनिक वासनिक व पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, कांग्रेस महासचिव व प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित एसपी से रामगोपाल यादव व जावेद अली मौजूद थे।

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में बताया गया  कि 12 जनवरी को उत्तर प्रदेश को लेकर फिर से एक बार चर्चा का राउंड होगा जिसमें सीट बंटवारे को लेकर तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी। मायावती के साथ आने पर यादव का कहना था कि उन्होंने पहले ही  प्रयत्न किया था, लेकिन मायावती ही पीछे हट गई थी। राज्य की 80 सीटों के लिए सीट बंटवारा मुख्यत: एसपी, कांग्रेस, आरएलडी व अन्य छोटे दलों के बीच ही होना है हालांकि इस बीच कांग्रेस की ओर से कहा गया कि मायावती और बसपा अगर साथ आते हैं तो इंडिया गठबंधन और मजबूत होगा।

अविनाश पांडे लगातार मायावती को गठबंधन में साथ लेने की बात कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को हुई इस बैठक में सीट बंटवारे के साथ-साथ राम मंदिर समेत तमाम स्थानीय मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में राम मंदिर समेत अन्य स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाए जाने पर सहमति बनी।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक को लेकर कई बारीकियों  पर चर्चा हुई। मसलन जाति कांबिनेशन, चेहरे, दोनों दलों की ओर से किए गए अपने सर्वे व फीडबैक पर बात हुई। बताया जाता है कि चर्चा में देखा गया कि किस सीट पर कौन सी जाति, समुदाय या वर्ग का प्रभाव है और कौन सा चेहरा वहां उतर सकता है।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में एसपी अपनी सबसे बड़ी हिस्सेदारी चाहता है। शुरुआती दौर में एसपी को 50, कांग्रेस को 21, आरएलडी को पांच सीट दिए जाने की चर्चा है। वहीं इसके साथ बीएसपी, भीम आर्मी सहित दूसरे दलों पर भी चर्चा होगी। एक चर्चा यह भी है कि जेडीयू अध्यक्ष व बिहार के सीएम नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं।

यदि इस समय बसपा की इंट्री को अलग रखे तो अभी उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस शामिल है। कांग्रेस प्रियंका गांधी की टीम में रहे नेता का कहना है कि बात चल रही है। कांग्रेस राज्य की 12 सीटों पर अपना मजबूत दावा समझती है। इंडिया गठबंधन में बसपा के शामिल होने के बारे में सूत्र का कहना है कि उनके पास कोई सूचना नहीं है। इतना तय है कि यदि चारों दल उ.प्र. में तालमेल से लड़े तो भाजपा को 2024 में जनता मजा चखा देगी।

जहां तक सीट बंटवारे का प्रश्न है तो समाजवादी पार्टी के नेता के मुताबिक उनकी पार्टी ने कांग्रेस जिन सीटों पर लडऩा चाहती है, उसका आधार पूछा है। अखिलेश यादव के करीबी संजय लाठर कहते हैं कि कांग्रेस को भाजपा को लाभ पहुंचाने वाली रणनीति पर नहीं चलना चाहिए। लाठर कहते हैं कि कांग्रेस को पड़ोसी राज्यों में भी सपा को सीटें देने के बारे में सोचना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के नेता का कहना है कि मोटे तौर पर रालोद के साथ सहमति बन गई है। इसमें (पश्चिमी उ.प्र.) जहां रालोद का प्रभाव (जाट बाहुल) है, वहां उसके प्रत्याशी और शेष सीटों पर हमारे प्रत्याशी। लाठर कहते हैं कि 52 सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ाई की स्थिति में है। 14-15 सीटें ऐसी हैं, जहां से भाजपा हर हाल में जीतती है। इसके बाद 13-14 सीटें ही बचती है। इसलिए सभी समीकरणों को गंभीरता से सोचकर सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा।

इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस में भी बसपा को साथ लेने की कोशिश जारी है । उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय का कहना  है कि इंडिया गठबंधन के कुछ साथी बहुजन समाज पार्टी  के संपर्क में हैं। उन्होंने लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर पत्रकारों से बात करते हुए यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय समिति इस पर काम कर रही है। बसपा के साथ गठबंधन को लेकर उनकी क्या चर्चा हुई है, मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है।

अविनाश पांडेय का ये बयान ऐसे समय में आया है जब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री का विरोध कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने दिल्ली में हुई बैठक में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत का मुद्दा उठाते हुए स्टैंड क्लियर करने की मांग की थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री हुई तो फिर सपा को भी अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ेगा। अखिलेश ने इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री की स्थिति में सपा के एग्जिट तक की बात कह दी थी।

अखिलेश ने बसपा के इंडिया गठबंधन में एंट्री को लेकर एक सवाल के जवाब में चुनाव बाद के भरोसे का मुद्दा उठा दिया तो वहीं बसपा प्रमुख ने सपा पर पलटवार किया है। मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए यहां तक कह दिया है कि हमें सपा से खतरा है। ऐसे में अब सवाल कांग्रेस की कोशिशों को लेकर भी उठ रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस अखिलेश को काबू करने के लिए बैलेंस गेम खेल रही है?

दरअसल, मध्य प्रदेश चुनाव में जब कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी, तभी से अखिलेश यादव के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने यह कहा था कि जिस तरह का व्यवहार हमारे साथ मध्य प्रदेश में होगा, वैसा ही हम उत्तर प्रदेश में करेंगे। अखिलेश ने एक बात पहले ही साफ कह दी है कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन का नेतृत्व सपा ही करेगी।

राहुल की न्याय यात्रा को लेकर सवाल पर भी अखिलेश यादव ने यह कहा था कि सीट शेयरिंग हो जाएगी तब हम भी चले जाएंगे। इस बयान को भी अखिलेश यादव की ओर से कांग्रेस को आंखें दिखाने की तरह देखा जा रहा था। इन सबके बीच अब कांग्रेस की ओर से बसपा से बातचीत को लेकर आए बयान और मायावती के इंडिया गठबंधन पर नरम और अखिलेश को लेकर तल्ख पलटवार को ग्रैंड ओल्ड पार्टी के बैलेंस गेम की तरह देखा जा रहा है।

अब सवाल ये भी है कि बसपा की इंडिया गठबंधन में एंट्री हो भी गई तो क्या बदलेगा? कहा जा रहा है कि इससे दो महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। एक बदलाव ये होगा कि कांग्रेस और सपा पहले से ही इंडिया गठबंधन में हैं। ऐसे में बसपा के आने से सूबे की लोकसभा सीटों पर सीधे मुकाबले के आसार बनेंगे। दूसरा बदलाव सपा को प्रभावित करेगा। सपा प्रमुख अखिलेश गठबंधन में बसपा की एंट्री का लगातार विरोध कर रहे हैं और एग्जिट की धमकी तक दे चुके हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश ने मायावती की पार्टी के इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर एक सवाल पर चुनाव बाद के भरोसे की बात छेड़ दी तो वहीं मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए सपा पर पलटवार किया है। मायावती ने सपा से खतरा बताते हुए भी हमला बोला है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह सपा-बसपा में तल्ख जुबानी जंग छिड़ी है, दोनों दलों का एक साथ एक गठबंधन में रहना कैसे संभव हो पाता है? यह भी देखने वाली बात होगी।

एक वरिष्ठ पत्रकार कहना है कि मुखर विरोध के बावजूद अगर इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री होती है तो यह अखिलेश की गठबंधन में कमजोर पकड़ का ही परिचायक होगा। सपा अगर बसपा की एंट्री के बाद भी इंडिया गठबंधन में रहती है तो भी अखिलेश अपने मन की इतने खुलकर नहीं कर पाएंगे। यह अखिलेश पर नकेल के लिए कांग्रेस और दूसरे दलों की रणनीति के तहत भी हो सकता है।

इंडिया गठबंधन के घटक दल, खासकर कांग्रेस अगर बसपा से गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है तो यह एक तरह से तल्ख तेवर दिखा रहे अखिलेश पर प्रेशर बनाने की रणनीति के तहत भी हो सकता है। कांग्रेस को शायद यह उम्मीद हो कि अखिलेश को बसपा से गठबंधन का विकल्प खुला होने, बातचीत जारी रहने का संदेश देकर अधिक सीटें पाने के लिए दबाव बनाया जाए।

प्लान बी भी एक फैक्टर बताया जा रहा है। कांग्रेस की रणनीति हो सकती है कि सीट शेयरिंग पर अगर सपा से बात नहीं बन पाए तो पार्टी के पास बसपा से गठबंधन के रूप में प्लान बी भी मौजूद रहे। शायद यही वजह है कि अखिलेश के विरोध के बाद भी कांग्रेस ने बसपा से बातचीत की खिड़की खुली रखी है। कांग्रेस की ओर से ये बयान ऐसे समय आया है जब सीट शेयरिंग को लेकर पार्टी नेताओं के साथ लखनऊ में मंथन कर रहे हैं।
-अशोक भाटिया

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