Monday, December 23, 2024

चारधाम यात्रा : बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलेंगे, तैयारी पूरी

देहरादून। उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई (रविवार) को प्रातः छह बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। चारधामों में से तीन धाम केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के मौके पर 10 मई को खुल चुके हैं। मंदिर समिति की ओर से बदरीनाथ के कपाट खुलने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हजारों की संख्या में तीर्थयात्री धाम पहुंच गये हैं। धाम में मौसम सर्द बना हुआ है।

कपाट खुलने की प्रक्रिया के तहत शनिवार पूर्वाह्न 11 मई को योग बदरी पांडुकेश्वर से उद्धव और कुबेर सहित आदि गुरुशंकराचार्य की पवित्र गद्दी और बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के साथ गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा दोपहर को बदरीनाथ धाम पहुंची। लामबगड़, हनुमान चट्टी, बदरीनाथ मंदिर के निकट देवडोलियों का स्वास्तिवाचन और फूल वर्षा से स्वागत हुआ। कपाट खुलने के कार्यक्रम के अनुसार 12 मई सुबह चार बजे से मंदिर समिति पदाधिकारी,धर्माधिकारी वेदपाठी हक हकूक धारी मंदिर परिसर में मंदिर के द्वार पूजन को पहुंचेंगे।

 

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की ओर से कपाट खुलने के लिए सभी तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। कपाट खुलने के अवसर के लिए बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश के सहयोग से पुष्पों से सजाया जा रहा है। रात्रि तक मंदिर को सजाने का कार्य चलता रहेगा। हजारों की संख्या में तीर्थयात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंच गये हैं और भी तीर्थयात्रियों पहुंचने का क्रम जारी है। दानीदाताओं की ओर से जगह-जगह भंडारे भी आयोजित हो रहे हैं। बदरीनाथ में मौसम सर्द है और दूर पर्वतों पर बर्फ साफ नजर आ रही है। मंदिर के आसपास और सड़क की बर्फ गल चुकी है, दिन में धूप लगी हुई है।

कल सोमवार 12 मई को प्रात:पांच बजे से रावल धर्माधिकारी, वेदपाठी मंदिर द्वार पूजन करेंगे और कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। ठीक छह बजे मंदिर गर्भ गृह के भी द्वार खुलेंगे और मां लक्ष्मी गर्भ गृह से मंदिर परिक्रमा स्थित अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगी। कुबेर जी बामणी गांव से आकर मंदिर परिसर से उद्धव जी के साथ ही मंदिर गर्भगृह में स्थापित हो जाएंगे।

प्रात: छह बजे भगवान की चतुर्भुज मूर्ति से घृत कंबल की अलग कर अभिषेक पश्चात भगवान बदरीविशाल के श्रृंगार दर्शन होंगे और संपूर्ण बदरीश पंचायत उद्धव जी, कुबेर जी, नारद जी नर नारायण के दर्शन शुरू हो जायेंगे। बदरीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित गणेश जी, घंटाकर्ण जी आदि केदारेश्वर जी आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर, माता मूर्ति मंदिर और तपोवन सुभाई (जोशीमठ) स्थित भविष्य बदरी मंदिर के भी कपाट इस यात्रा काल के लिए दर्शनार्थ खुल जायेंगे।

10 मई को नृसिंह मंदिर जोशीमठ में दर्शन पूजा-अर्चना पश्चात तेल कलश गाडू घड़ा यात्रा ने आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचे थे। पांडुकेश्वर में रात्रि प्रवास के पश्चात आज 11 मई को योग बदरी पांडुकेश्वर से उद्धव जी और कुबेर जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी और बदरीनाथ धाम के रावल के साथ गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा सायंकाल को बदरीनाथ धाम पहुंच गयी है।

शनिवार को देवडोलियों के योग बदरी पांडुकेश्वर से बदरीनाथ पहुंचने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार,स्वामी मुकुंदानंद महाराज,डिमरी केंद्रीय पंचायत अध्यक्ष /मंदिर समिति सदस्य आशुतोष डिमरी, सदस्य भास्कर डिमरी, वीरेंद्र असवाल डिमरी पंचायत के पूर्व अध्यक्ष श्रीराम डिमरी धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल,वेदपाठी रविंद्र भट्ट आदि मौजूद रहे।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय और उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बदरीनाथ धाम में यात्रा और मंदिर दर्शन व्यवस्था के लिए मंदिर कर्मचारियों को व्यापक दिशा निर्देश दिये।

इस अवसर पर प्रभारी अधिकारी अनिल ध्यानी,मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, विवेक थपलियाल अवर अभियंता गिरीश रावत, जगमोहन बर्त्वाल,लेखाकार भूपेंद्र रावत, मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, प्रबंधक अजय सती, भागवत मेहता,अनसुइया नौटियाल, योगंबर नेगी, हरीश जोशी, सत्येंद्र झिंक्वाण सहित अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

इससे पहले मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने मंदिर दर्शन पंक्ति, स्वच्छता, विद्युत, पेयजल, जनसुविधा, मंदिर कार्यालय वीआईपी प्रवेश मार्ग, वेटिंग रूम, मंदिर के सिंह द्वार परिसर का मौके पर निरीक्षण किया व्यवस्थाओं को सुचारु करने के निर्देश दिये। आईजी पुलिस गढ़वाल रेंज केएस नगन्याल, जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, एसपी सर्वेश पंवार, उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित ने यात्रा व्यवस्थाओं की समीक्षा की।

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