Sunday, February 23, 2025

चिराग ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, अलग होने के बावजूद पीएम के फैसले के साथ खड़े होने की कही बात

नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जारी विवाद पर मोदी सरकार का पक्ष लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी है और विपक्षी दलों के रवैये की आलोचना की है। चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह भरोसा दिलाया, आपके साथ रहते हुए या आपसे अलग होकर भी मैंने और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने जनहित में आपके द्वारा लिए गये हर फैसलों का मजबूती से साथ दिया है। नए संसद भवन का उद्घाटन यकीनन एक विकसित भारत की दिशा में आपके द्वारा उठाया गया मजबूत कदम है जिसका मैं और मेरी पार्टी समर्थन करती है तथा विपक्ष से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती है। इस ऐतिहासिक दिन के लिए मैं और मेरी पार्टी की ओर से आपको बधाई एवं शुभकामनाएं।

चिराग ने विपक्षी दलों के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, लोकतंत्र में संसद एक पवित्र संस्था है। यहां देश की उन नीतियों पर फैसला होता है, जो सीधे जनता से जुड़ी होती है। भारत और भारतीयों के बेहतर भविष्य को निर्धारित करने में भारतीय संसद की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे में 19 विपक्षी दलों द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन के विरोध के फैसले की मैं और मेरी पार्टी घोर निंदा करती है। इस ऐतिहासिक पल के बहिष्कार का फैसला इस महान देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मान्यताओं पर हमला है। ऐसी महान संस्था के प्रति विपक्षी दलों द्वारा यह अनादर व अपमान लोकतंत्र की मूल आत्मा और मयार्दा पर कुठाराघात है।

चिराग ने आगे लिखा कि अफसोस की बात यह है कि तिरस्कार और बहिष्कार की यह पहली घटना नहीं है। पिछले नौ सालों में देखें तो इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं-नियमों की अवमानना की है, सत्रों को बाधित किया है। महत्वपूर्ण विधायी कामों के दौरान सदन का बहिष्कार किया है। संसदीय फर्ज की अवहेलना की है। विपक्ष का संसदीय व्यवस्था, मयार्दा और लोकतांत्रिक शुचिता के प्रति यह तिरस्कारपूर्ण रवैया लगातार बढ़ रहा है। यह लोक स्मृति में दर्ज है कि इन विपक्षी दलों ने जीएसटी के विशेष सत्र का बहिष्कार किया था, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने की थी, उन्हें भारत रत्न दिये जाने के समारोह का भी बहिष्कार इन्हीं तत्वों ने किया।

उन्होंने लिखा कि रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर सामान्य शिष्टाचार और औपचारिकता निभाने में भी इन दलों को विलंब हुआ। इसके अलावा, हमारे देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रति इनका दिखाया गया अनादर राजनीतिक मयार्दा के निम्नस्तर पर पहुंच गया, उनकी उम्मीदवारी का घोर विरोध न केवल उनका अपमान था, बल्कि हमारे देश की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सीधा अपमान हुआ। हम यह नहीं भूल सकते कि संसदीय लोकतंत्र के प्रति विपक्ष के इस व्यवहार – तिरस्कार की जड़ें इतिहास में गहरी हैं। इन्हीं पार्टियों ने आपातकाल लागू किया – भारत के इतिहास की वह भयावह अवधि, जब नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया गया। अनुच्छेद 356 का लगातार आदतन दुरुपयोग, संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति विपक्ष की घोर अवहेलना व अवमानना को उजागर व प्रमाणित करता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय