Friday, May 10, 2024

कांग्रेस ने अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन समझौते पर उठाया सवाल, सौदे में पारदर्शिता की मांग

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नई दिल्ली। भारत द्वारा 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ 3 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ दिनों बाद, कांग्रेस ने बुधवार को समझौते में पूर्ण पारदर्शिता की मांग की और केंद्र से उस कीमत के बारे में भी सवाल किया जो, वह दावा कर रही है कि यह अन्य देशों की तुलना में चार गुना अधिक है।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि “अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए”।

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उन्होंने कहा कि “हमें डर है कि राफेल सौदे के साथ जो हुआ, वह प्रीडेटर समझौते के साथ दोहराया जा रहा है।”

प्रीडेटर ड्रोन की कीमत पर सवाल उठाते हुए, खेड़ा ने कहा, “अन्य देश इसे चार गुना से भी कम कीमत पर खरीद रहे हैं, जबक‍ि भारत 3 बिलियन डॉलर में 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीद रहा है।”

उन्होंने कहा कि भारी कीमत के लिए, रक्षा मंत्रालय को एक आधिकारिक पीआईबी स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसे रिकॉर्ड पर स्पष्ट करना पड़ा।

खेड़ा ने कहा, ”लेकिन भारत के लोगों को इस प्रक्रिया पर जवाब चाहिए।” उन्होंने कहा कि ये ड्रोन पुरानी तकनीक के हैं और चार गुना अधिक कीमत पर खरीदे जा रहे हैं, वह भी रुस्तम और घातक श्रृंखला के ड्रोन के लिए डीआरडीओ में 1,500 करोड़ रुपये लगाने के बाद।

उन्होंने सवाल किया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने  अमेरिका के साथ 3 अरब डॉलर के ड्रोन सौदे को हरी झंडी क्‍यों नहीं दी।

कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि प्रीडेटर ड्रोन खरीद पर निर्णय लेने के लिए सीसीएस की बैठक क्यों नहीं की गई, इन ड्रोनों के लिए अधिक कीमतें क्यों चुकाई जा रही हैं।

खेड़ा ने आगे पूछा कि जब भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को ऊंची कीमतों से परेशानी हो रही थी, तो अमेरिका के साथ ड्रोन सौदे की क्या जल्दी थी।

उन्होंने यह भी कहा कि वायुसेना को 18 ड्रोन की जरूरत है, तो फिर 31 ड्रोन का सौदा क्यों।

कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल किया कि जीई एटॉमिक सीईओ का सरकार में बैठे लोगों के साथ क्या संबंध है।

खेड़ा ने मांग की, “ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता लाई जानी चाहिए। मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए जानी जाती है।”

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