वाराणसी। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण से जुड़े सात मामलों (प्रार्थना पत्रों) की सुनवाई एक साथ ही होगी। सोमवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने यह आदेश दिया। इस मामले में अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी।
वहीं मां श्रृंगार गौरी प्रकरण की चार वादिनी लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने कोर्ट में आवेदन दिया था। आवेदन में कहा गया था कि किरन सिंह विसेन व अन्य की ओर से ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी के संबंध में दाखिल मुकदमों को जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर एक साथ सुना जाए। चारों वादिनी महिलाओं के अधिवक्ताओं ने मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने के पक्ष में अपनी बात रखी थी। अधिवक्ताओं की दलील थी कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के सभी मामले एक जैसे हैं। इनकी अलग-अलग सुनवाई नहीं होनी चाहिए।
वादिनी पक्ष के एक अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि जनपद न्यायाधीश, वाराणसी ने ज्ञानवापी प्रकरण से सम्बंधित एक ही प्रकृति के सात मुकदमों को समेकित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने हमारे प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है। एक अन्य अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने सात मामले तो क्लब कर लिए हैं। बाकी के मामलों में कोर्ट को लगेगा कि फाइलों को मेरिट के आधार पर अलग सुनवाई करनी है तो फिर उस केस को बाहर कर दिया जाएगा और उनकी कार्यवाही अलग से होगी।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की चार महिला वादियों की तरफ से जिला जज की अदालत में आवेदन दिया गया था। उनकी तरफ से कहा गया कि ज्ञानवापी से जुड़े सात मामले कई अदालतों में चल रहे हैं। सभी मामले एक जैसे हैं। हर मामले में मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की मांग की गई है। इसलिए सभी मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही कोर्ट में की जानी चाहिए। इस मामले में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, विश्व वैदिक सनातन संघ विरोध में हैं। इस प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कोर्ट में इनके अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें भी पेश की थी।