नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के एक मामले में आरोप तय करने पर बहस की सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने पिछली सुनवाई के दौरान मामले में वकीलों को अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था और पक्षों के समक्ष इस बात पर जोर दिया था कि दलीलें व्यवस्थित तरीके से पूरी की जायेंगी।
सिंह के वकील द्वारा बुधवार को जवाब दाखिल करने पर न्यायाधीश ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 28 नवंबर की तारीख तय कर दी।
भाजपा सांसद ने पिछली बार छह महिला पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया था और दावा किया था कि कोई भी आरोप देश में उनके किसी कृत्य के लिए नहीं लगाये गये हैं।
उनके वकील ने दावा किया था कि टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुए कथित अपराधों की सुनवाई इस अदालत में नहीं की जा सकती है।
हालाँकि, लोक अभियोजक (पीपी) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा था कि पीड़ितों का यौन उत्पीड़न एक निरंतर अपराध है, क्योंकि इसमें कभी ठहराव नहीं आया।
उन्होंने कहा था, “आरोपी को जब भी मौका मिलता, वह पीड़ितों से छेड़छाड़ करता और इस तरह के उत्पीड़न को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है, इसे एक श्रृंखला के रूप में देखा जाना चाहिए।”
दिल्ली पुलिस ने अदालत को यह भी बताया है कि सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। साथ ही कहा कि उसके खिलाफ आरोप तय करने और मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
इससे पहले, सिंह ने अपने खिलाफ गवाहों के बयानों में भौतिक विरोधाभास का दावा करते हुए अदालत से उन्हें आरोपमुक्त करने का आग्रह किया था।
उनके वकील ने तर्क दिया था कि कानून के अनुसार, ओवरसाइट कमेटी को सात दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश करनी थी, लेकिन चूंकि मामले में ऐसी कोई सिफारिश नहीं की गई है, इसलिए यह मान लेना चाहिए कि समिति को प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं मिला।
लोक अभियोजक ने कहा था, ”दोषमुक्ति का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उक्त समिति द्वारा कोई सिफारिश/निष्कर्ष नहीं दिया गया है।”