Monday, December 23, 2024

सुन्दरता का प्रतीक बन रहा है सांवलापन

टीवी पर गोरेपन के विज्ञापनों की भरमार सी आई हुई है। किसी फेयरक्रीम का दावा है कि वह आठ दिन में गोरा बना देगी, तो कोई फेसवाश दो दिन में किसी लडकी को एश्वर्या या कैटरीना कैफ जैसा बनाने की घोषणा करता है। ऐसा लगता है कि जैसे हर कोई गोरा बनना चाहता है। लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। अब समय बदल रहा है। कल तक जिस सांवले रंग को शर्मनाक माना जाता था,आज दुनियाभर में सांवले रंग की महिमा को बढाने की मुहिम चल पडी है। टैक्सास यूनिवर्सिटी के तीन दोस्तों ने सांवले रंग की महिमा बढाने का आनलाइन अभियान शुरु किया है और इसे नाम दिया है अनफेयर एण्ड लवली अभियान। इस अभियान में दुनियाभर की सांवले महिलाओं को सेल्फी भेजने को कहा गया है। यह अभियान अब पूरे एशिया से होते हुए भारत तक भी पंहुचा है और हजारों सांवली युवतियां इससे जुड चुकी है। वैसे गोरा और काला वर्ण बनाने वाला भगवान है। काले वर्ण और सांवले लोग भी उतने ही सुंदर होते हैं जितने गोरे रंग वाले। ऐसे अनेक लोग इस दुनिया में मौजूद हैं, जो सांवले होते हुए भी खूबसूरत कहे जाते हैं। भारत में तो प्राचीन काल से सांवले रंग को सुन्दरता का प्रतीक माना जाता रहा है। पौराणिक काल में देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण काले थे इसलिए उन्हें (श्याम) कहा जाता था। इसी तरह अपने युग की सर्वाधिक सुंदर महिला द्रोपदी भी सांवली थी और भगवान श्री राम की अर्धागिनी सीता माता भी सांवले वर्ण की थी। प्रकृति की यह विभिन्नता ही लोगों में आकर्षण का केंद्र बनाती है वरना एक ही रंग की दुनिया उबाऊ न हो जाती। सौंदर्य में रंग ही सौंदर्य नहीं है। देखा गया है कि विपरीत वर्ण वाले व्यक्ति के प्रति अधिक आकर्षण होता है। सौंदर्य में आपके भाव, स्वभाव का विशेष स्थान होता है। आपके बात करने का अंदाज और उठने बेठने का तरीका, जब आप किसी से बात करती हैं तो आपके चेहरे के उतार चड़ाव, अपने वर्ण के अनुसार कपड़ो का चयन इत्यादि व्यक्तित्व की वह विशेषताएं होती हैं जो चुंबकीय आकर्षण उत्पन्न करने में सक्षम होती है इन विशेषताओं के कारण सांवले और बदसूरत लोग भी आकर्षक एवं खूबसूरत लगने लगते हैं। इसके विपरीत भाव शून्य चेहरा, बातों को सीधे सपाट ढंग से कहना, बेतरतीब कपड़े, सौंदर्य को कम कर देते हैं। ऐसे समय गोरा रंग बिल्कुल अलग पड़ जाता है और व्यक्ति अनाकर्षक बन जाता है। सौंदर्य के साथ अच्छा व्यक्तित्व भी जरुरी है। बिना अच्छे व्यक्तित्व के सौंदर्य अधूरा होता है। सौंदर्य का मापदंड रंग नहीं वरन सही ढंग होना चाहिए। गोरा रंग बातचीत करने का सही तरीका, दिल लुभाने वाली अदाएं और नजाकतें केवल बाहरी सुंदरता मानी जाती हैं लेकिन सुंदरता को पूर्ण करने के लिए इन सब बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण है आंतरिक सौंदर्य। आंतरिक सौंदर्य के अभाव में अच्छे-अच्छे खूबसूरत लोग भी बदसूरत लगने लगते हैं। आंतरिक सौंदर्य से तात्पर्य व्यक्ति के व्यवहार और गुणों की सुंदरता से है। व्यक्ति अपनी सभ्यता, सौम्यता, मासूमियत और व्यवहार कुशलता से अपने प्रति द्वेष और घृणा रखने वाले के मन में भी प्रेम का अंकुर पैदा कर सकता है।  इस प्रकार के लोगों से व्यक्ति बार-बार मिलना चाहता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी लोग उनके साथ होते हैं। इसके विपरीत चेहरा चाहे जितना खूबसूरत हो, यदि उस व्यक्ति का व्यवहार अच्छा नहीं हैं, सभ्यता, संस्कार नहीं हैं तो ऐसा व्यक्ति लोगों के मन में जगह नहीं बना सकता और वह घृणा का पात्र बन जाता हैं। बाहरी सुंदरता के साथ-साथ मन को भी सुंदर बनाएं तभी सुंदरता सम्पूर्ण होगी।
(वैदेही कोठारी-विनायक फीचर्स)

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय