मेरठ। पांच साल की मासूम की बलि देने के इरादे से अपहरण के दोषी तांत्रिक सूफी इकबाल की रविवार को जेल में बीमारी के चलते मौत हो गई। तांत्रिक इकबाल 74 साल का था। 24 फरवरी 2025 को अदालत ने तांत्रिक को मामले में 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था।
चौधरी चरण सिंह कारागार के जेलर के के दीक्षित ने बताया कि सूफी इकबाल टीबी की बीमारी से पीड़ित था। वह जेल के अस्पताल में भर्ती था। रविवार उसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। सूफी इकबाल के खिलाफ देहली गेट थाना क्षेत्र के पूर्वा अहमद नगर निवासी शमशुद्दीन ने 8 अगस्त 2015 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया था कि तीन अगस्त की सुबह उसकी पांच वर्षीय पुत्र सुमईया दुकान से बिस्कुट लेने गई थी। तभी तांत्रिक सूफी इकबाल उर्फ बाला उसका मुंह दबाकर उठाकर ले जाने लगा।
अयोध्या में सुहागरात पर दर्दनाक हादसा, कमरे में मिली दूल्हा-दुल्हन की लाश
किसी तरह सुमईया के मुंह से उसका हाथ हट गया। बालिका के चीखने-चिल्लाने पर लोग आए तो आरोपी दीवार फांदकर भाग निकला। बालिका के पिता ने आशंका जताई थी कि बलि देने के लिए आरोपी ने पुत्री का अपहरण किया था। आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आ गया था। 24 फरवरी को मुकदमे की सुनवाई पूरी होने पर कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था।