नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने तीन महीने की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने के एक मामले में आरोपी को अपना बचाव करने का उचित अवसर दिए बिना 15 दिनों के भीतर दी गई मौत की सजा के फैसले को जल्दबाजी करार देते हुए गुरुवार को उसे रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि जल्दबाजी में सुनवाई न केवल निरर्थक, बल्कि न्याय के सिद्धांत का भी उल्लंघन होगा। पीठ ने मामले को इंदौर सत्र अदालत को वापस भेजने के बाद मामले में नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया।
यह घटना इंदौर में 20 अप्रैल 2018 को हुई थी और आरोपी नवीन उर्फ अजय को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोप पत्र 27 अप्रैल 2018 को सात दिनों के रिकॉर्ड समय में दायर किया गया था और निचली अदालत ने 12 मई 2018 को अपना फैसला सुना दिया था।