Tuesday, January 7, 2025

दीपक चौरसिया लेने गए थे योगी का इंटरव्यू , कोर्ट ने कर दिए गिरफ़्तारी वारंट जारी

गुरुग्राम। नाबालिग के वीडियो को तोड़-मरोड़कर प्रसारित करने का मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशि चौहान की अदालत में बुधवार को आरोपियों पर इसलिए आरोप तय नहीं हो पाए कि सभी आरोपी अदालत में हाजिर नहीं हुए। इस मामले में आगामी सुनवाई के लिए 3 मार्च की तारीख निर्धारित कर दी है।

इस केस में गत सप्ताह अदालत में 7 आरोपी अपने अधिवक्ताओं के साथ अदालत में पेश हुए थे, लेकिन आठवें आरोपी पत्रकार दीपक चौरसिया अदालत में पेश नहीं हुए।

उनके अधिवक्ता ने हाजिरी माफी के लिए आवेदन करते हुए अदालत से आग्रह किया कि उनकी हाजिरी माफी की जाए।

दीपक के अधिवक्ता ने अदालत में वह प्रमाण भी प्रस्तुत किया, जिसमें दीपक चौरसिया उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू लेने के लिए व्यस्त हैं। इसलिए वह अदालत में पेश नहीं हो सकते।

वकील ने यूपी के  सीएम  के अफसर की तरफ से इस संबंध में भेजा पत्र भी दिखाया, लेकिन कोर्ट ने नोट किया कि वह पत्र चौरसिया के नाम संबोधित नहीं था। इसके अलावा दीपक चौरसिया के वकील ने यूपी सरकार का जो पत्र कोर्ट में पेश किया वह कॉन्फिडेंशियल यानी गोपनीय था। न्यायालय ने इस पर भी तीखी आपत्ति जताई और कहा कि जो पत्र गोपनीय था उसको न्यायालय में कैसे पेश किया गया।

अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू पूरी तरह से गोपनीय था। उसको सार्वजनिक करना भी गलत है।

जिस पर एडिशनल सेशन जज शशि चौहान ने कार्यवाही करते हुए दीपक चौरसिया के गैर जमानती वारंट जारी कर दिए हैं।

सात साल हो चुके हैं मामले को दर्ज हुए

इस मामले की पैरवी कर रही सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार ने बताया कि आरोपी दीपक चौरसिया के इससे पूर्व भी अदालत गैर जमानती वारंट जारी कर चुकी है, जिस पर आरोपी को अपनी जमानत करानी पड़ी थी। इस मामले को दर्ज हुए 7 साल से अधिक हो चुके हैं। अभी तक आरोपियों पर आरोप तय नहीं किए जा सके हैं। अदालत 4 फरवरी की तारीख पर आरोपियों पर आरोप तय करने वाली थी, लेकिन आठवें आरोपी के अदालत में उपस्थित न होने के कारण आरोप तय नहीं हो सके हैं। आरोपी जान-बूझकर मामले को लंबा खींचना चाहता है।

2 जुलाई 2013 का है मामला

बता दें कि 2 जुलाई 2013 को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोड़कर अश्लील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी।

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