नोएडा। नोएडा के एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के सहयोग से विज्ञान सप्ताह दिल्ली 2025 की मेजबानी की गई। इस समारोह में देश भर के जाने-माने वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम ‘पृथ्वी एवं पर्यावरण विज्ञान सहित स्वास्थय विज्ञान’ विषय पर चर्चा के लिए एक बड़ा मंच बना। कार्यक्रम का शुभारंभ (आईएनएसए के अध्यक्ष डा. आशुतोष शर्मा, एमिटी विवि. के चांसलर डा. अतुल चौहान, नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एडवांसड स्टडीज के निदेशक डा. शैलेश नायक द्वारा किया गया।
बता दें कि यह प्रोग्राम नए चुने गए आईएनएसए फेलो, एसोसिएट फेलो, फॉरेन फेलो और यंग एसोसिएट्स को शामिल करने के लिए आयोजित किया गया। यह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की एक वार्षिक राष्ट्रीय पहल है। जिसका उददेश्य साइंस, टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग में भारतीय वैज्ञानिकों के शानदार योगदान को सम्मानित करना है।
इस समारोह में आईआईएससी बेंगलुरु, इसरो, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, आईआईएसईआर कोलकाता, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, टीएचएसटीआई आईसीजीईबी, एनबीआरसी, अशोका यूनिवर्सिटी, यूएसए की टीयूएफटीएस यूनिवर्सिटी, आईएमटीईसीएच और आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिक, शोधार्थियों और चिकित्सक एक साथ मंच पर आए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण स्थायित्व, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, प्रतिरक्षा विज्ञान, न्यूरोसाइंस, संक्रामक रोग और लोक स्वास्थ्य पर चर्चा की।
वहीं विज्ञान सप्ताह दिल्ली-2025 का शुभारंभ करते हुए आईएनएसए के अध्यक्ष डा. आशुतोष शर्मा ने कहा कि आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है जब विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी के युवा मस्तिष्क गहन विषयों पर चर्चा कर रहे है। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में वैज्ञानिक सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि युवा शोधार्थियों को परिवर्तनकारी और समाज के हित से जुड़े विज्ञान को बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होने कहा कि विश्व स्तरीय मस्तिष्क को हितधारकों से जोड़ना होगा, अविष्कार और नवाचार के मध्य के रिक्त स्थान को भरना होगा। हमें मिलकर उम्र, विविधता, समावेशिता और पक्षपात के अंतर को कम करने का प्रयास करना होगा। कई बार हमारे वैज्ञानिक ज्ञान एवं संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद सही नितियों के अभाव के कारण कार्य नहीं कर पाते। इसलिए वैज्ञानिक उत्कृष्टता में निति निर्धारकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमें केवल चुनौतियों को नहीं देखना है बल्कि उनके निवारण पर ध्यान केन्द्रीत करना है।
डॉ. अतुल चौहान ने कहा कि एमिटी का वैश्विक दृष्टिकोण युवा छात्रों को भविष्य के उत्कृष्ट वैज्ञानिक एवं नवाचार बनाना है। जिससे वे ना केवल राष्ट्र निर्माण में सहायक हो बल्कि वैश्विक स्तर पर मानवता के लिए कार्य करे। हम अपने सभी छात्रों और शोधार्थियों को अनुसंधान के लिए हर संभव सहायता प्रदान करते है। विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी किसी भी देश के विकास के लिए बेहद अहम होते है इसलिए आप जैसे युवा शोधार्थियों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। विज्ञान समुदाय को उद्योगों के साथ मिलकर विश्वास को मजबूत करना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एडवांसड स्टडीज के निदेशक डा. शैलेश नायक, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा. बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती सहित अन्य लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष (पब्लिकेशन) डा. वीएम तिवारी, एमिटी ग्रुप वाइस चांसलर डा. गुरिंदर सिंह सहित अन्य उपस्थित रहें।