नयी दिल्ली। इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने सरकार से अखबारी कागज पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुये कहा है कि यह देश में प्रिंट मीडिया उद्योग के अस्तित्व के लिये जरूरी है।
आईएनएस ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा, “दुनिया भर के साथ-साथ भारत में भी कई न्यूजप्रिंट मिलों ने या तो अपना परिचालन निलंबित कर दिया है या फिर न्यूजप्रिंट उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है, जिससे देश भर में न्यूजप्रिंट की आपूर्ति की निरंतरता को लेकर चिंता की लकीरें खिंच गयी हैं।”
विज्ञप्ति में कहा गया है कि यदि यह शुल्क वापस ले लिया जाता है, तो प्रिंट मीडिया उद्योग को बहुत राहत मिलेगी। इससे प्रकाशकों को अपनी परिचालन लागत को अधिक प्रभावी ढंग से व्यवस्थित करने और जनता के लिये विश्वसनीय समाचार और सूचना का निरंतर प्रसार सुनिश्चित करने में सहूलियत होगी।
आईएनएस के अनुसार, अखबारी कागज की कीमत और उपलब्धता की मौजूदा स्थिति वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, तार्किक पेचीदगियों, रुपये के मूल्यह्रास और अखबारी कागज पर प्रचलित सीमा शुल्क जैसे विभिन्न कारकों के संयोजन के कारण है। इससे देश में प्रकाशकों पर भारी बोझ पड़ गया है। रुपए की कीमत में कमी आने से प्रिंट मीडिया क्षेत्र जैसे आयात-निर्भर उद्योगों पर दबाव बढ़ गया है।
आईएनएस ने कहा है वह इन हालातों के मद्देनजर सरकार से अपील करती है कि अखबारी कागज पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करे। जिससे प्रिंट मीडिया बिना किसी अन्य बोझ के सुचारू रूप से चल सके।