एंबुलेंस नहीं मिलने पर पिता को बेटे का शव थैले में ले जाना पड़ा, स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच और कार्रवाई के आदेश
रांची। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड के बालजोड़ी गांव निवासी डिंबा चतोम्बा को चाईबासा सदर अस्पताल में एंबुलेंस नहीं मिलने के वजह से अपने बेटे का शव थैले में भरकर अपने गांव लाना पड़ा।
डॉ अंसारी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि चाईबासा से जुड़ी एक घटना कुछ तथाकथित मीडिया माध्यमों में दिखाई गई है, जिसमें एक परिवार के बच्चों को झोले में ले जाने का दृश्य दिखाया गया। यह मामला मेरे संज्ञान में आते ही मैंने तत्काल संज्ञान लिया है। संबंधित प्राधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है तथा सिविल सर्जन से इस पूरे मामले पर विस्तृत और तथ्यात्मक जवाब तलब किया गया है।
मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि स्वास्थ्य विभाग में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
लेकिन इसके साथ-साथ यह भी गंभीर चिंता का विषय है कि चाईबासा और पलामू जैसे जिलों में आए दिन इस तरह की नकारात्मक और भ्रामक खबरें लगातार फैलाई जा रही हैं। इससे न केवल सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि ईमानदारी से काम कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल भी तोड़ा जा रहा है।
चाईबासा जैसे दुर्गम क्षेत्रों में डॉक्टर पहले ही जाना नहीं चाहते, और इस प्रकार का नकारात्मक माहौल स्थिति को और कठिन बना देता है। मैं जनता और मीडिया से अपील करता हूं कि यदि कहीं खामियां हैं तो उन्हें सीधे हमारे संज्ञान में लाया जाए। जांच होगी, सुधार होगा और दोषियों पर कार्रवाई भी होगी। लेकिन बिना पूरी जांच के किसी डॉक्टर या पूरे विभाग की छवि को मीडिया ट्रायल के जरिए खराब करना उचित नहीं है।
साथ ही यह भी जांच का विषय है कि कहीं संगठित रूप से कुछ राजनीतिक और वैचारिक ताकतें सरकार और स्वास्थ्य विभाग की छवि को जानबूझकर धूमिल करने का प्रयास तो नहीं कर रही हैं। इस तरह की साजिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हमारी सरकार जनता के स्वास्थ्य, सम्मान और व्यवस्था सुधार के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। सच सामने आएगा और न्याय होगा—यह मैं विश्वास दिलाता हूं।
