हिंदू त्योहारों में दीपावली का त्योहार अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक अकेला ऐसा त्योहार है जिसके साथ कई अन्य त्योहार भी जुड़े होते हैं। दीपावली के साथ ही शुरूआत होती है हर्षोल्लास की, लेकिन दीपावली की शुरूआत स्वयं धनतेरस पर्व से होती है।
यूं तो दीपावली का पर्व लक्ष्मी जी के साथ जुड़ा होता है मगर लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना तो धनतेरस से ही शुरू हो जाती है। धनतेरस एक ऐसा पर्व है जिसमें दुकानों पर भारी भीड़ देखी जा सकती है।
इस पर्व पर प्रत्येक हिंदू परिवार में बर्तनों की खरीदारी की जाती है। वास्तविकता में यह पर्व नये बर्तनों की खरीदारी से जुड़ा है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने घर के लिए एक नया बर्तन खरीदकर लाता है। चाहे बर्तन छोटा हो या बड़ा, सब व्यक्ति अपनी जेब के अनुसार खर्च करके इसे घर लाते हैं। बाद में इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। बर्तनों की खरीदारी के साथ कई कथाएं जुड़ी है। माना जाता है कि लक्ष्मी जी इस पर्व पर नये बर्तन में धन-दौलत देती हैं। साथ ही उसकी बरकत के लिए आशीर्वाद भी देती हैं।
दीपावली पर उस नये बर्तन को लक्ष्मी जी की पूजा के समय पूजा जाता है और बाद में उसका उपयोग कर लिया जाता है। इस तरह दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस के दिन खरीदे गये बर्तन की अर्चना होती है। श्रद्धालु पूजा के दौरान लक्ष्मी से अपनी धन-सुख पाने की इच्छा की पूर्ति मांगते हैं और लक्ष्मी उन्हें इच्छापूर्ति का वरदान देती हैं, ऐसा प्रचलित है।
इस दिन दुकानों पर भीड़ जुटी रहती है जिससे दुकानदारों की अच्छी खासी बिक्री हो जाती है। बर्तनों के व्यापारी भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इससे उन्हें काफी लाभ होता है। इस तरह यह पर्व बर्तनों के व्यापार के लिए भी खास महत्व रखता है। इस पर्व पर घर में बाकी सब कुछ भी नया-नया हो जाता है क्योंकि इससे पूर्व घर की सफाई भी की जाती है और पूरा घर स्वच्छता के कारण नया बन जाता है। फिर शुरू होती हैं दीपावली की तैयारियां। इस तरह धनतेरस एक ऐसा त्योहार है जो धन के साथ-साथ उमंग और खुशियों से भरा होता है।
-शिखा चौधरी