Wednesday, May 8, 2024

मसूड़ों को न करें नजर अंदाज

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मसूड़ों की तकलीफ एक आम समस्या है। बहुत सारे लोग इस तकलीफ से जूझते हैं पर समय पर इलाज नहीं करवाते क्योंकि वे दांतों की बीमारियों के प्रति जागरूक नहीं हैं। मसूड़ों की सूजन के कई कारण होते हैं जिनमें मुख्य है दांतों की सफाई के प्रति लापरवाही बरतना।

दांतों की नियमित सफाई न करने से बीमार दांतों द्वारा चबाया भोजन जब पेट में पहुंचता है तो कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है जो बाद में मुख्य बीमारियों के रूप में हमें भुगतना पड़ता है जैसे छोटी आयु में दांतों का गिरना, बदबूदार सांस, दांतों से खून आना, मुंह का स्वाद बिगडऩा, पीले दांत दिखना, सूजे हुए मसूड़े और खाने को ठीक ढंग से न चबा पाना आदि। इन सबसे आत्म विश्वास भी कम होता है।

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यदि आप दिन में दो बार ब्रश नहीं करते, दांतों की सफाई को नजर अंदाज करते हैं तो इसकी आपको बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पहले डाक्टर यह मानते थे कि मुंह के इंफेक्शन से बाकी शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन हाल में नये शोधों के अनुसार दांतों के बैक्टीरिया और आसपास के इंफेक्शन से शरीर में कई बीमारियां हो सकती हैं। ये इंफेक्शन खाने के साथ खून में शामिल होकर शरीर को नुक्सान पहुंचाते हैं।

कारण: प्रसिद्ध दंत रोग विशेषज्ञ डा. मेघा के अनुसार दांतों की मैल और प्लाक के कारण मुंह में बैक्टीरिया का संक्रमण तेजी से फैलता है। इससे बचने के लिए आवश्यकता होती है ठीक तरीके से दांतों की ब्रशिंग करने, फ्लासिंग करने और नियमित रूप से डाक्टर से दांतों का चेकअप करवाने की। जब दांतों पर मैल अधिक जमना शुरू हो जाता है तो मसूड़ों की सूजन बढ़ जाती है। इससे मसूड़े लाल हो जाते हैं और मसूड़ों से खून आने लगता है।

इसी अवस्था पर हम डाक्टरी राय नहीं लेते तो यह बीमारी फैलकर दांतों की हड्डियों तक पहुंच जाती है जो दांतों के स्ट्रक्चर को सपोर्ट करते हैं। इनके अलावा मसूड़ों की सूजन का जेनेटिक प्रभाव भी हो सकता है। हार्मोनल बदलाव धूम्रपान करने से, तंबाकू चबाने से, गर्भावस्था, तनाव, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर आदि भी कारण हो सकते हैं।

बचाव के लिए सुझाव
दांतों की दिन में दो बार सफाई करें। ब्रशिंग करने का सही तरीका डाक्टर से पूछें।
कुछ भी खाने के बाद अच्छी तरह से कुल्ला करें ताकि कोई खाने का टुकड़ा दांतों में फंसकर सडऩ पैदा न कर सके।
दांतों की नियमित रूप से फ्लासिंग (दवाई युक्त धागे से) करें।

धूम्रपान छोड़ दें और तंबाकू का सेवन न करें।
पौष्टिक आहार लें। इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अधिक मीठे व्यंजनों का सेवन न करें।

मसूड़ों की बीमारी कभी-कभी दांतों की हड्डियों तक पहुंच जाती है जो कई नुक्सान पहुंचाती हैं। यह अधिक तनाव के कारण भी होता है। तनाव से दूरी बनाकर रखें।
खूब पानी पिएं
दंत विशेषज्ञ से अपने दांतों की सफाई कम से कम छ: माह में एक बार जरूर करवायें।
– नीतू गुप्ता

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