अरे भई कहां हो। क्या बात है। चाय अभी तक नहीं आई’ सुबह उठते ही यह स्वर होते हैं राकेश के। राकेश की आदत है कि उसे उठते ही सबसे पहले चाय चाहिए। असल में यह आदत राकेश की नहीं बल्कि बहुत से लोगों की होती है। चाय पीना बुरा नहीं है लेकिन चाय का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए, जैसे बिना कुछ खाये चाय का सेवन लाभ के बजाय नुकसान अधिक पहुंचाता है।
चाय के शौकीन लोग अक्सर ही यह कहते हुए देखे जा सकते हैं कि चाय सेहत के लिए फायदेमंद होती है। वहीं दूसरी ओर जो लोग चाय नहीं पीते, वे कहते हैं कि चाय हानिकारक है। यदि गौर से देखा जाए तो ये दोनों ही बातें अपनी अपनी जगह ठीक हैं।
असल में चाय में कैफीन नामक तत्व होता है जिसके माध्यम से सिरदर्द जैसी समस्या से कुछ हद के लिए निजात पाया जा सकता है लेकिन यदि चाय पत्ती को अधिक उबाला जाए तो कैफीन अपना अधिक असर दिखाता है। धीरे-धीरे चाय पीने वाला इसका आदी हो जाता है और फिर चाय न मिलने की स्थिति में सिर में दबाव महसूस करता है और जब तक चाय न पी ले, तब तक दबाव बना ही रहता है।
कुछ लोग जब थकान महसूस करते हैं या देर रात काम करते हैं तो उन्हें चाय की आवश्यकता महसूस होती है क्योंकि चाय में ऐसे तत्व पाये जाते हैं जिनसे व्यक्ति थकान में राहत महसूस करता है। असल में चाय के अनेक लाभ हैं लेकिन वहीं साथ-साथ इसका अधिक सेवन लाभ की बजाय हानि भी पहुंचा सकता है। इसलिए आवश्यक है कि चाय का प्रयोग सही तरीके से किया जाए और चाय पीते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाए। सुबह-सुबह उठते ही चाय का सेवन करने से पहले कुल्ला या ब्रश इत्यादि अवश्य करें।
वैसे बैड टी लेना कोई खराब आदत नहीं है लेकिन यदि इसके साथ नमकीन बिस्कुट हों तो ठीक रहेगा क्योंकि खाली पेट चाय पीने से लाभ के बजाय हानि की अधिक संभावना रहती है।
रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बर्तन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है।
चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न पिएं तो बेहतर होगा।
जितना हो सके, चायपत्ती को कम उबालें, तथा एक बार चाय बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें।
चाय पत्ती खरीदते समय सीलपैक चाय का ही चुनाव करें क्योंकि कई बार खुली चाय में कई तरह की गंध आ रही होती है जिससे चाय का स्वाद खराब होने का अंदेशा रहता है। बहुत अधिक गरम चाय का सेवन भी न करें क्योंकि इससे दांत खराब होने का डर रहता है।
– ललिता वर्मा