सिरदर्द एक आम बीमारी है जिससे व्यक्ति ग्रसित होता ही रहता है। यह रोग शारीरिक और मानसिक दोनों कारणों से होता है। कभी-कभी सिर दर्द इतना तेज होता है कि इससे ग्रसित रोगी मारे दर्द के बेहाल हो जाता है। इससे ग्रसित होने पर दर्द के मारे कोई काम करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस दर्द का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। सिर दर्द होने के निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं:-
कब्ज:- खाये गए आहार का ठीक से पाचन नहीं होने से कब्ज होती है। लगातार कब्ज बने रहने से पेट में मल सडऩे लगता है और गैस पैदा होने लगती है। इस गैस का दबाव सिर के कोमल स्नायुओं पर पड़ता है जिससे सिर दर्द होने लगता है।
उच्च रक्तचाप:- रक्तचाप बढ़ जाने पर इसका दबाव सिर पर पड़ता है और सिर में दर्द होने लगता है। उपचार द्वारा रक्तचाप सामान्य करने पर सिर दर्द हो जाता है।
नेत्र ज्योति का कम होना:- आंखों की रोशनी कम होने पर पढ़ते-लिखते समय आंखों पर दबाव पड़ता है। इससे सिर में भारीपन होकर दर्द होने लगता है। आंखों की जांच कराकर चश्मा पहनने से यह दर्द दूर हो जाता है।
वात, पित्त या कफ का कुपित होना:- पित्त प्रकुपित होने से कुपित वात में तथा वात के कुपित होने से कुपित पित्त में वृद्धि होती है। वात व पित्त दोनों के प्रकुपित होने से रोगी को सिर दर्द के साथ उल्टी की शिकायत भी हो जाती है, इस तरह के सिरदर्द को माइग्रेन कहा जाता है। माइग्रेन का सिर दर्द, 2 से 5 दिन तक रहता है।
अधिक शोक:- अत्यधिक शोक तथा देर तक लगातार रोने से भी दिमाग पर दबाव बढ़ता है और सिर में दर्द होने लगता है।
देर रात तक जागना:- किसी कारणवश रात में ज्यादा देर तक जागते रहने से शरीर और दिमाग को पूरी तरह विश्राम नहीं मिल पाता जिससे तनाव बढ़ता है और सिर दर्द होने लगता है।
दिमागी चिन्ता:- जटिल समस्याओं का समाधान न ढूंढ पाने के कारण व्यक्ति चिन्ताग्रस्त हो जाता है। इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है और व्यक्ति सिरदर्द का शिकार हो जाता है।
तेज धूप या असह्य गर्मी:- तेज धूप, गर्मी या लू के कारण शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति काफी देर तक बनी रहने से सिर दर्द होने लगता है।
ज्यादा शारीरिक या मानसिक श्रम करना:- ज्यादा शारीरिक या मानसिक श्रम करने से थकावट बढ़ जाने से भी सिर में दर्द होने लगता है।
– राजा तालुकदार