Monday, December 23, 2024

प्रयागराज में महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर आठ लाख श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में डुबकी

प्रयागराज। प्रयागराज में माघ मेला के अंतिम महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर दोपहर 12 बजे तक सात लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि के अवसर पर दोपहर 12 बजे तक सात लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।

श्रद्धालुओं का कारवां संगम की तरफ बढ़ता ही आ रहा है। दूर दराज और आसपास के जिलों से पहुंचने वाले श्रद्धालु गुरूवार को भी मेला क्षेत्र में पहुंचे थे और लोगों का स्नान करने पहुंचने का क्रम जारी है। तड़के चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के सभी घाटों पर किया। स्नान के बाद पूजन के बाद पण्डों को दान दिया।

माघ मेला के अंतिम महाशिवरात्रि स्नान के लिए श्रद्धालु गुरूवार की रात से मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे थे। देर रात तक उन्होने अपना ठिकाना मठ, मन्दिरों और तीर्थ पुरोहितों के शिवरों में बिताया। तड़के हर हर गंगे, बम बम महदेव जय उद्घोष के साथ त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगायी।

स्नान को लेकर माघ मेला क्षेत्र में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गये थे। सुबह से मेला प्रशासन के साथ जिला और पुलिस प्रशासन भी मुश्तैद रहा। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान मुश्तैद रहे। मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे से भी नजर रखी जा रही थी।

महाशविरात्रि पर्व पर श्रद्धालु गंगा स्नान करने के बाद शहर के शिव मन्दिरों में तड़के से ही भक्तों का भक्तों का रेला जलाभिषेक के लिए उमडा है। यमुना तट से सटे मनकामेश्वर मन्दिर के अलावा शहर के तक्षकेश्वरनाथ मन्दिर, हटकेश्वरनाथ मन्दिर, सोमेश्वर महादेव मन्दिर, कमौरी महादेव मन्दिर, पड़िला महादेव मन्दिर आदि में सुबह से श्रद्धालु बाबा के दरबाद में पहुंचकर पिण्डी पर दूध, बेलपत्र, धतूरा, भंग के साथ अबीर-गुलाल भी लगाया।

भीड को देखते हुए मन्दिर परिसर के बाहर बैरिकेटिंग लगाई गयी है। थोडे थोडे लोगों को धीरे धीरे मन्दिर में भोलेनाथ का दर्शन के लिए भेजा जा रहा था। विभिन्न इलाकों में भ्गवान भोलेनाथ की बारात भी निकाली गयी। इस दौान बाबा की बातरात में नंदी, भूत-प्रेत, साधु-महात्मा के साथ बैण्ड बाजा बजते हुए गली मुहल्ले से निकाली गयी। श्रद्धालुओं ने बारात पर फूलों की वर्षाकर स्वागत भी किया।

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