मेरठ। प्रशासन और चुनाव आयोग की ओर से मतदान करने की अपील लगातार होती रहती है। मतदान होगा तो लोकतंत्र मजबूत होगा। जितना अधिक मतदान उतना अधिक लोकतंत्र के प्रति आस्था की बात मानी जाती है। इसीलिए मतदान को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है।
मेरठ में 80 और 90 की उम्र पार कर चुके लोग आबादी को यह सीख दे रहे हैं। जिस उम्र में लोग घर पर आराम करते हैं निकलने में समस्या होती है। उनके अंदर मतदान करने के प्रति लगान और उत्साह है। यह लोकतंत्र के प्रति आस्था का सबसे बड़ा उदाहरण है ऐसा इसलिए क्योंकि वह मतदान का महत्व समझते हैं। लोकतंत्र में नागरिकों को सर्वोच्च माना है इसलिए नेतृत्व कर्ता का चयन करने के लिए चुनाव की व्यवस्था की गई है।
बेटा मतदान करेंगे तभी सवाल का हक पाएंगे लावड़ में 95 साल की महिला कुलसुम वोट डालने बूथ पर पहुँची। 93 वर्षीय सरवरी पत्नी पूरू मलिक कंकरखेड़ा लॉर्ड लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल में बने केंद्र संख्या 31 में वोट डालने पहुंची। राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में अकबरी (91) पत्नी रफीक ने मतदान किया। मेरठ में 90 वर्षीय सुधा गुप्ता और 87 वर्षीय लीला देवी ने वोट डाला।
नगर पंचायत किठौर कार्यालय में वोट डालने पहुची 92 वर्षीय मकबुलन। सरधना में 75 साल की अनीशा ने मतदान किया।मेरठ में आर्य कन्या इंटर कालेज में नगर निगम चुनाव मतदान कर 90वर्षीय जयन्ती प्रसाद ने मतदान किया। जयंती प्रसाद ने कहा बेटा मतदान आवश्यक है। जब पूरी व्यवस्था ही चुनावी प्रक्रिया के तहत है तो मतदान बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। मतदान नहीं करेंगे तो सवाल कैसे करेंगे।
हर्रा में बीमारी से जूझ रही अकबरी की उम्र 95 साल है। वह अपने आप चल फिर नहीं सकती, फिर भी उनमें मतदान का जोश बरकरार हैं। उन्होंने अपने स्वजनों को मतदान के लिए इच्छा जताई। पहले लोगों ने कहा कि शरीर की स्थिति ऐसी नहीं है कि मतदान करने जा सको। लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मेरे साथ कोई चले तो मैं मतदान करने जा सकती हूं।अकबरी की जिद जीत गई। उनका बेटा उनको अपने साथ लेकर गया और वोट डलवा कर आया।