Wednesday, May 14, 2025

बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका, बिजली हुई महंगी, यूपी में 5 साल बाद फ्यूल सरचार्ज बढ़ा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रहने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने पांच साल बाद फ्यूल सरचार्ज में वृद्धि कर दी है, जिससे प्रदेशवासियों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। गर्मियों में जहां बिजली की खपत तेजी से बढ़ जाती है, वहीं अब उपभोक्ताओं को हर यूनिट पर पहले से अधिक भुगतान करना होगा।

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क्या होता है फ्यूल सरचार्ज और क्यों बढ़ा है?
फ्यूल सरचार्ज वह अतिरिक्त शुल्क होता है, जो बिजली उत्पादन में लगने वाले ईंधन की लागत में उतार-चढ़ाव के आधार पर उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। ठीक वैसे ही जैसे पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुसार बढ़ती-घटती रहती हैं, अब बिजली के बिल में भी इसी तरह की प्रणाली लागू हो गई है। UPPCL ने फ्यूल सरचार्ज को 1.24 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि जितनी अधिक बिजली की खपत, उतना ही ज्यादा सरचार्ज और भारी बिल।

गर्मियों में जेब पर दोहरी मार
गर्मी के मौसम में एसी, कूलर और पंखों के उपयोग के कारण बिजली की खपत कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में सरचार्ज की दर में वृद्धि उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बनकर टूटेगी। अब हर महीने बिजली का बिल न सिर्फ यूनिट के हिसाब से बल्कि फ्यूल सरचार्ज की बदलती दर के आधार पर भी तय होगा।

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बदली है सरकार की नीति
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 लागू किया है। इसके तहत अब राज्य की बिजली वितरण कंपनियां हर महीने ‘फ्यूल एंड पावर एडजस्टमेंट सरचार्ज’ (FPAC) लगाने के लिए अधिकृत हैं। पहली बार UPPCL ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए सरचार्ज बढ़ाने का फैसला किया है।

विरोध में उतरे उपभोक्ता
बिजली दरों में अचानक बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ता संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि UPPCL अब तक उपभोक्ताओं को 33,122 करोड़ रुपये लौटाने में विफल रही है, ऐसे में बिना पारदर्शिता के सरचार्ज लागू करना पूरी तरह अनुचित है।

बिजली उपभोक्ताओं के लिए जरूरी बातें
फ्यूल सरचार्ज की दर हर महीने बदल सकती है, जिससे बिल में उतार-चढ़ाव लगातार बना रहेगा। हालांकि अगर उपभोक्ता बिजली की बचत करते हैं, तो इस बढ़ोतरी का असर कम महसूस होगा। इसलिए जरूरी है कि लोग सजग रहें और ऊर्जा संरक्षण को अपनी आदत बनाएं, ताकि महीने के अंत में भारी बिल का झटका न लगे।

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