मेरठ। मनोविज्ञान विभाग में ‘सुसाइड प्रीवेंशन:केयर और क्राइसिस’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० कुमकुम पारीख मनोविज्ञान विभाग, आरoजीo कॉलेज, मेरठ उपस्थिति रहीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विभागाध्यक्ष प्रो० संजय कुमार ने कहा कि आज हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 12 से 14000 विद्यार्थी आत्महत्या कर अपनी जिंदगी समाप्त कर लेते हैं। यह किसी भी व्यक्ति या परिवार के लिए एक भयावह स्थिति है। इतनी बड़ी संख्या में आत्महत्या से लोगों की जान जाना किसी समाज या देश के आत्ममंथन का विषय है। जिस पर हम सबको बात करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता प्रो० कुमकुम पारीख ने आत्महत्या के बारे में बताते हुए कहा कि आत्महत्या करने वाला विद्यार्थी जब कभी भी ऐसी किसी परिस्थिति से गुजरता है तो वह प्राय कुछ ना कुछ बातों या अपने व्यवहार से अत्याहत्या के संकेत देता है।
जिसे माता-पिता, शिक्षकों एवं साथियों को पहचानना चाहिए, जिसमें कि उनके द्वारा खुद को समाप्त करने जैसे वक्तव्य दिया जाना, खुद को शांत कर लेना, मित्रों के साथ बात कम बात करना। खाने व सोने की दिनचर्या का खराब होना जैसे लक्षणों के द्वारा आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को पहचाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग प्रायः सेंसिटिव ज्यादा होते हैं तो उन्हें ज्यादा इमोशनल सपोर्ट की आवश्यकता होती है। एसे आत्महत्या के विचारों से गुजर रहे व्यक्ति के साथ हमें बहुत संवेदनाशील होकर व्यवहार करना चाहिए और उन्हें यह एहसास करना चाहिए कि माता पिता उनके साथ हैं। इस प्रकार से हम दुनिया भर में लाखों लोग जो आत्महत्या करते हैं उन्हें समय से पहले बचा सकते हैं।
प्रो० अल्पना अग्रवाल ने कहा कि कोई भी व्यक्ति आत्महत्या जब करता है जब उसके सामने उसे कोई और समाधान दिखाई नहीं देता है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर डॉ अंशु अग्रवाल के द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम का संचालन पूजा शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग के एमए, बीए एन ई पी, बी ए ऑनर्स के सभी विद्यार्थी व अन्य शिक्षक रिशु शर्मा, चित्र गुप्ता एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।