नयी दिल्ली। देश में दिल के दौरों के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद। जहां कुछ लोग टीकाकरण को हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ने के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस तरह की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि टीका लगवाने से दिल का दौरा हो सकता है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ के अनुसार, भारत में लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) लोगों की मौत हृदय रोगों के कारण होती है।
हाल के दिनों में देखा गया है कि कई युवा हस्तियों, कलाकारों, एथलीटों और खिलाडी – जो आमतौर पर फिट रहते हैं और दिल की बीमारी की जिनकी कोई हिस्ट्री नहीं है – उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और उनमें कुछ की मौत भी हुई है।
अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज में बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च के डीन डॉ. अनुराग अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि को इस प्रकार सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है कि लगभग हर व्यक्ति को कोविड हुआ था, कुछ लोगों को तो कई बार।
जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. विवेकानंद झा ने कहा, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि दिल के दौरे का कोविड वैक्सीन से कोई संबंध है। दिल के दौरे सहित हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा उन व्यक्तियों में बढ़ जाता है जो कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रहे हैं।
कई अध्ययनों से इन बात के प्रमाण मिले हैं कि बढ़ते दिल के दौरे के पीछे कोविड संक्रमण की भूमिका है। शोध से पता चला है कि कोविड में उन लोगों में छिपी दिल की बीमारियों के लक्षणों को उजागर करने की क्षमता है, जिनमें इसका पहले पता नहीं चला था।
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के एक अध्ययन में पाया गया है कि कोविड के कारण हार्ट और किडनी में इनफ्लेमेशन होता है। साथ ही यह शरीर की रक्षा प्रणाली द्वारा जनित इनफ्लेमेशन को भी बढ़ाता है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी की एक पत्रिका कार्डियोवास्कुलर रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोविड अल्पावधि और दीर्घावधि में हृदय रोग के बढ़े जोखिम और मृत्यु से जुड़ा है। इस साल की शुरूआत में लगभग 1,60,000 लोगों पर किये गये इस अध्ययन में पता चला कि असंक्रमित व्यक्तियों की तुलना में कोविड रोगियों के संक्रमण के पहले तीन सप्ताह में मरने की संभावना 81 गुना अधिक होती है और संक्रमण के 18 महीने बाद तक पांच गुना अधिक रहती है।
पिछले साल नेचर मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोविड की मामूली बीमारी भी कम से कम एक साल के लिए संक्रमित व्यक्ति में हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि हृदय गति रुकने और स्ट्रोक जैसी कई बीमारियों की दर उन लोगों की तुलना में जो कोविड से संक्रमित नहीं हुए हैं, उन लोगों में काफी अधिक थी जो कोविड से उबरे हैं।
हालांकि, कुछ लोगों ने कोविड टीकों को लेकर भी चिंता जताई है। सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका) के अनुसार, अमेरिका और दुनिया भर में कई निगरानी प्रणालियों से प्राप्त साक्ष्य एमआरएनए कोविड-19 टीकों (जैसे, मोडेरना और फाइजर बायोटेक के टीकों) और मायोकार्डिटिस (दिल की मांसपेशियों में इनफलेमेशन) और पेरिकार्डिटिस (दिल की बाहरी सतह में इनफ्लेमेशन) के बीच कर्ता-कारक संबंध का समर्थन करते हैं।
मीडिया रिपोटरें में यह भी कहा गया है कि भारत में कोवीशील्ड के रूप में दी जाने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीकों का संबंध धमनियों या नसों के अवरुद्ध होने की बढ़ती प्रवृत्ति से है।
हाल ही में, प्रख्यात ब्रिटिश-भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असीम मल्होत्रा ने कहा था कि यह हृदय संबंधी प्रभावों, दिल के दौरे और स्ट्रोक के मामले में यह बदतर था।
आईआईटी मंडी में स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज एंड बोयाइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद ने कहा, दिल के दौरों में वृद्धि सीधे तौर पर कोविड वैक्सीन से नहीं जुड़ी है, बल्कि मुख्य रूप से कोविड संक्रमण से जुड़ी हुई है क्योंकि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो कोविड बीमारी हृदय प्रणाली के साथ कर सकती है। कोविड संक्रमित लोगों के खून में चिपचिपाहट बढ़ने की भी खबरें हैं।
अग्रवाल ने कहा, टीकाकरण शुरू होने से पहले ही, कोविड और भविष्य में दिल के दौरे में वृद्धि के बीच संबंध देखे जा सकते थे। यह अवलोकन 2020 के आंकड़ों से है। इस तरह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि टीकाकरण शुरू होने से पहले दिल के दौरे में वृद्धि का खतरा शुरू हो गया था।
इस बीच, बढ़ते दिल के दौरों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस सप्ताह के आरंभ में कहा था कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के बाद हृदय संबंधी रोगों में अचानक वृद्धि पर एक शोध शुरू किया है। अगले दो महीनों में नतीजे आने की उम्मीद है।