नई दिल्ली। ‘आयुर्वेद दिवस’ के तहत देश के किसान ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’अभियान से बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं।‘किसानों के लिए आयुर्वेद’ कार्यक्रम के तहत उन्हें आयुर्वेद चिकित्सा में उपयोग होने वाली जड़ी बूटियों और पौधों की खेती के गुणों से अवगत कराया जा रहा है।
किसानों की आय दोगुनी करने एवं आयुर्वेद को आजीविका का हिस्सा बनाकर उन्हें आत्म निर्भर और सशक्त बनाने के मकसद से औषधीय पौधों के आर्थिक महत्व को समझाया जा रहा है। आयुष मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि किसानों को औषधीय पौधों की खेती में उपयोग की जाने वाली विशेष तकनीक के बारे में एनएमपीबी (नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड) के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। ताकि वे ‘आयुर्वेद दिवस’ के ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’अभियान से जुड़कर भारत के किसान ‘किसानों के लिए आयुर्वेद’ विषय को और विस्तार से समझ सकें।
मंत्रालय के मुताबिक ‘आयुर्वेद दिवस’ का मुख्य आयोजन 10 नवंबर को पंचकुला (हरियाणा) में किया जाना निर्धारित किया गया है। देश भर के किसान इस आयोजन में भागीदारी कर औषधीय पौधों की कृषि से जुड़ी जानकारी वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।
‘आयुर्वेद दिवस’ के आयोजन की नोडल एजेंसी सीसीआरएएस (सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेस) ने www.ayurvedaday.org.inएक माइक्रो वेबसाइट विकसित की है। विश्व भर से लोग इस वेबसाइट को विज़िट कर ‘आयुर्वेद दिवस’ से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं और ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ अभियान से जुड़ी अनेक गतिविधियों का हिस्सा भी बन सकते हैं।
आयुष मंत्रालय ने कहा कि ‘आयुर्वेद दिवस’ से छात्रों और युवाओं के अतिरिक्त देश भर के किसानों को जोड़ने का काम किया जा रहा है। देश भर में स्थित 7 आरसीएफसी (रीजनल कम फेसिलिटेशन सेंटर) और 37 एसएमपीबी (स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड) देश के किसानों को ‘आयुर्वेद दिवस’ अभियान से जोड़ने का काम कर रहे हैं।
इन सेंटर्स से जुड़े सहयोगी घर-घर जाकर, किसानों को औषधीय पौधों का वितरण कर रहे हैं और किसानों की भागीदारी को बढ़ावा दे रहे हैं। आयुष मंत्रालय से जुड़े सभी संस्थान और विभिन्न मंत्रालयों की टीम लगातार ‘आयुर्वेद दिवस’ को एक वैश्विक आयोजन के तौर पर मनाए जाने की तैयारी कर रही है।