नई दिल्ली। किसानों व उनकी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में उठाया गया। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के अन्य सभी कार्यों को स्थगित कर इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की। हालांकि यह मांग स्वीकार नहीं की गई।
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इसके बाद सभापति ने विपक्ष से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी को इस विषय पर बोलने का अवसर दिया। इस विषय पर बोलते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि धरती का भगवान अन्नदाता, उसके ऊपर लाठियां चल रही हैं। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य का जो वादा किया गया था, वह वादा नहीं निभाया जा रहा। कांग्रेस सांसद ने कहा कि किसानों के संबंध में हमारी आवाज को संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोग भी उठा रहे हैं। उन्होंने राज्यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का धन्यवाद करते हुए कहा कि हम आपको धन्यवाद देते हैं कि आपने हमारी आवाज को उठाया है।
गौरतलब है कि मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वयं एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से प्रश्न किया था कि आखिरकार किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच पर मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा था कि कृषि मंत्री जी, हर पल आपके लिए महत्वपूर्ण है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं, और भारत के संविधान के तहत दूसरे सबसे बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया मुझे बताइए, क्या किसान से कोई वादा किया गया था, और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया। हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है, और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं।
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बुधवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद ने सभापति से मांग की कि वे सरकार को निर्देश दें कि किसानों से किए गए वादे पूरे करें। कांग्रेस सांसद ने कहा कि खासतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हम सरकार से जवाब चाहते हैं। प्रमोद तिवारी के बोलने के उपरांत कांग्रेस व विपक्ष के कई सांसद अपने स्थान पर खड़े होकर इस मुद्दे पर बोलने की मांग करने लगे। जिस पर सभापति ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। दरअसल बुधवार को विपक्ष द्वारा किसानों के मुद्दे, तमिलनाडु के साइक्लोन और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा जैसे मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए गए थे।
विपक्षी सांसदों ने किसानों के मामले पर चर्चा की मांग की। इस पर सभापति ने कहा कि आपको बहुत देर बाद किसानों की याद आई है। सभापति ने कहा कि 5 दिन विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिए गए जिसके कारण 5 दिन तक राज्यसभा की कार्रवाई नहीं चल सकी, हालांकि इस दौरान एक बार भी किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस नहीं दिया गया और अब मगरमच्छ के आंसू दिखाए जा रहे हैं।