Tuesday, November 5, 2024

स्वयं सहायता समूह के गठन से महिलाओं में जागृत हुई शिक्षा के प्रति चेतना : आनंदीबेन पटेल

मीरजापुर। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वयं सहायता समूह के गठन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं के समूह गठन से उनमें शिक्षा के प्रति चेतना जागृत हुई है। बथुआ स्थित राजकीय पालीटेक्निक परिसर में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।

राज्यपाल ने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि प्रायः देखने में आता है कि लड़कियों को अधिकांश सरकारी स्कूलों में तो बेटों को प्राइवेट कान्वेट स्कूलों में भेजा जाता है किंतु यही सरकारी स्कूल के बच्चे जब इंटर कालेज व विश्वविद्यालय में पहुंचते हैं और स्कूली बच्चों को जब गोल्ड मेडलिस्ट की श्रेणी में सम्मानित किया जाता है तो उनमें से 80 प्रतिशत गोल्ड मेडलिस्ट लड़कियां ही होती हैं।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जब लड़कियां-महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, शिक्षित होंगी, स्वस्थ होंगी तभी भारत विकसित होगा। उन्होंने आंगनबाड़ी केेंद्रों को सशक्त बनाने पर बल देते हुए कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां आज बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के साथ अनेक क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। स्वास्थ्य व शिक्षा के विकास के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है क्योंकि यही आंगनबाड़ी व प्राइमरी स्कूल के बच्चें आगे 25 वर्षों के बाद भारत को पूर्ण रूप से विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक 30000 किट पहुंचाया गया है।

विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को आएंगे पढ़ाने

राज्यपाल ने कहा कि आंगनबाड़ी से लेकर प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक व इंटर तथा विश्वविद्यालय स्तर तक एक चैनल बनाने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों व अध्यापकों को कभी-कभी आंगनबाड़ी केंद्रों में आकर पढ़ाना होगा तथा उन बच्चों को विश्वविद्यालय में ले जाकर भ्रमण कराकर शिक्षा के महत्व के बारे में बताने के दृष्टिगत कार्य करना होगा।

उप्र में तीन लाख से अधिक टीबी मरीज स्वस्थ्य, 2025 तक टीबी मुक्त होगा भारत

2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने तथा आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने की दिशा में बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पूरे देश में टीबी मुक्त अभियान चलाया गया और आज पूरे उत्तर प्रदेश में तीन लाख से अधिक टीबी मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। आगे भी यह कार्य चलता रहेगा। धीरे-धीरे कई एजेंसियां भी आगे आ रही हैं और टीबी मुक्त भारत तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं।

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