मुजफ्फरनगर। खतौली नगर पालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन पारस जैन ने आज एससीएसटी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था, जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत दे दी है। फिलहाल कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है और रेगुलर जमानत पर बाद में सुनवाई होगी।
बताया जा रहा है कि खतौली के राजकुमार उर्फ राजा वाल्मीकि हत्याकांड में नामजद होने पर पूर्व चेयरमैन पारस जैन के वारंट जारी हो गये थे, जिसमें उनके कुर्की के आदेश होने पर आज सुबह उन्हें कोर्ट में सरेंडर करने पर मजबूर होना पड़ा था। पूर्व चेयरमैन पारस जैन ने अपने अधिवक्ता वक़ार अहमद के साथ कोर्ट में सरेंडर किया, जिनकी जमानत पर घंटो तक सुनवाई हुई और फिर कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है।
उनके अधिवक्ता वकार अहमद ने बताया कि खतौली के राजकुमार उर्फ राजा बाल्मीकि हत्याकांड में पूर्व चेयरमैन पारस जैन को अंतरिम जमानत मिली है और रेगुलर ज़मानत पर सुनवाई बाद में होगी। उल्लेखनीय है कि विगत 5 अप्रैल 2017 को खतौली में राजकुमार उर्फ राजा बाल्मीकि हत्याकांड के मामले में आज सुबह आरोपी पारस जैन ने विशेष अदालत एससी/एसटी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
आरोपी की ओर से ज़मानत के लिए अर्जी दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि नियत की है। आरोपी पारस जैन की ओर से अंतरिम जमानत की भी अर्जी दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने रेगुलर ज़मानत की सुनवाई तक अंतरिम ज़मानत स्वीकार कर ली है। रेगुलर ज़मानत की अर्जी पर बाद में सुनवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट से भी नहीं मिल सकी राहत:
हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत ना मिलने पर जेल जाने के तमाम कयासों को धता बताकर पूर्व पालिका चेयरमैन पारस जैन गुरुवार को मुजफ्फरनगर की एससीएसटी कोर्ट में सरेंडर करके अपनी अंतरिम जमानत कराने में कामयाब रहे।
पूर्व चेयरमैन पारस जैन को अंतरिम जमानत मिलने से इनके विरोधियों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने के साथ ही पारस जैन को ओवरटेक करके निकट भविष्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव में पालिकाध्यक्ष पद का चुनाव जीतने की जुगत भिड़ाने वाले नेताओं में भी मायूसी छा गई है।
चार अप्रैल 2017 की सुबह होली चौक स्थित अपनी दुकान पर बैठे भाजपा नेता राजा वाल्मीकि की बाइक पर आए नकाबपोश बदमाशों ने गोली मारकर जघन्य हत्या कर दी थी। मृतक राजा वाल्मीकि के परिजनों के साथ वाल्मीकि समाज के आक्रोशित लोगों ने हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया था। हंगामे के दौरान नगर का प्रथम नागरिक होने के नाते मृतक के परिजनों से सहानुभूति प्रकट करने पहुंचे पूर्व चेयरमैन पारस जैन राजनीति का शिकार हो गए थे। भीड़ के हमलावर होने पर पुलिस ने बामुश्किल पारस जैन को सुरक्षित निकाला था।
मृतक राजा वाल्मीकि के भाई राणा प्रताप ने अपने मौहल्ले व समाज के दो सगे भाइयों पर अपने भाई की हत्या करने के अलावा पारस जैन पर हत्या का षडयंत्र रचने का आरोप लगाया था। पुलिस ने हत्यारोपित सगे भाइयों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था, जबकि लम्बी विवेचना के बाद राजा वाल्मीकि हत्याकांड में धारा 120 बी के मुल्जिम बनाए गए पारस जैन को क्लीनचिट देकर छोड़ दिया था।
मृतक के पिता बाबूलाल वाल्मीकि द्वारा गुहार लगाए जाने पर एससी एसटी कोर्ट ने एक साल पूर्व पारस जैन की धारा 319 में तलबी के आदेश कर दिए थे। बावजूद इसके लगातार गैर हाजिर रहने पर एससी एसटी कोर्ट ने बीते माह पारस जैन के विरुद्ध पहले 82 और बाद में 83 की कार्यवाही करते हुए कुर्की आदेश कर दिए थे। इस दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक की दौड़ लगाए जाने पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पारस जैन को तीन सप्ताह में निचली अदालत में पेश होकर अपनी जमानत कराने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पारस जैन के एससी एसटी कोर्ट में सरेंडर करके जमानत कराने के कयास लगाए जाने लगे थे। गुरुवार को नाटकीय ढंग से एससी एसटी कोर्ट में सरेंडर किए जाने की खबर सोशल मीडिया पर फैलते ही पारस जैन के विरोधियों की बांछे खिलने के साथ ही समर्थकों में मायूसी छा गई, लेकिन कुछ देर बाद ही पासा पलटते ही एससी एसटी कोर्ट द्वारा पारस जैन को अंतरिम जमानत दिए जाने की खबर लगते ही विरोधियों के चेहरों पर हवाइयां उडऩे के अलावा पारस जैन के समर्थकों की बांछे खिल गई।
दूसरी और शासन द्वारा नगर निकाय चुनाव कराए जाने की तैयारियों को गति दिए जाने के बीच कोर्ट द्वारा पारस जैन को रिलीफ दिए जाने से नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लडने के इच्छुक प्रत्याशियों के समीकरण भी गड़बड़ा गए है। भाजपा के सिंबल पर पालिकाध्यक्ष पद का चुनाव लडने के प्रबल दावेदार पारस जैन के अब खुलकर मैदान में आने से नगर निकाय चुनाव का मुकाबला बहुत ही रोमांचक होगा।