नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार दूसरे महीने भी बिकवाल की भूमिका में बने रहे। नवंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से 21,612 करोड़ रुपये यानी 2.56 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की। माना जा रहा है की डॉलर इंडेक्स की मजबूती, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में हुई बढ़ोतरी और घरेलू अर्थव्यवस्था में आई तात्कालिक गिरावट की वजह से विदेशी निवेशकों ने लगातार दूसरे महीने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का रुख बनाए रखा है।
राहत की बात ये रही कि नवंबर के महीने में अक्टूबर की तुलना में विदेशी निवेशकों ने कम मात्रा में पैसों की निकासी की। अक्टूबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से 94,017 करोड़ रुपये यानी करीब 11.2 अरब डॉलर की निकासी की थी। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में पहली बार विदेशी निवेशकों ने इतने बड़े पैमाने पर बिकवाली करके पैसों की निकासी की थी।
हालांकि अक्टूबर के पहले सितंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक पूरी तरह से लिवाल की भूमिका में कारोबार कर रहे थे। सितंबर में विदेशी निवेशकों ने स्टॉक मार्केट में 57,724 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की थी। विदेशी निवेशकों द्वारा की गई ये खरीदारी इसके पहले के 9 महीने का सर्वोच्च स्तर थी। हालांकि सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर इन दोनों महीनों के दौरान विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालने में ही लग रहे।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई दर की स्थिति और ब्याज दरों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के निर्णय पर घरेलू शेयर बाजार की चाल आने वाले दिनों में निर्भर करेगी। इन बातों का असर घरेलू निवेशकों के साथ ही विदेशी निवेशकों पर भी पड़ेगा। रुंगटा एसोसिएट्स के सीईओ हरीश रुंगटा का कहना है कि अमेरिका में नई सरकार की आर्थिक नीतियों और जियो-पॉलिटिकल एक्टिविटीज पर भी विदेशी निवेशकों की चाल निर्भर करेगी।
रुंगटा के मुताबिक इसके अलावा दिसंबर में खत्म होने वाली तिमाही में भारतीय कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन पर भी विदेशी निवेशको का रुख कुछ हद तक निर्भर करेगा। अगर भारतीय कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन बेहतर रहा तो घरेलू शेयर बाजार में एक बार फिर तेजी का रुख बन सकता है। खासकर, विदेशी निवेशक एक बार फिर घरेलू बाजार में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं।