नई दिल्ली। वक्फ संशोधन मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है। इस याचिका में केंद्र सरकार ने कोर्ट से अपील की है कि वह इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार की दलील भी सुने। केंद्र सरकार का कहना है कि अदालत को बिना सुनवाई के कोई एकतरफा आदेश पारित नहीं करना चाहिए। केंद्र सरकार ने कैविएट याचिका में स्पष्ट किया है कि उसे इस महत्वपूर्ण मामले में अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलना चाहिए, ताकि अदालत द्वारा कोई भी निर्णय पारित करते समय केंद्र की दलील भी शामिल हो सकें। केंद्र सरकार का यह कदम तब आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन को लेकर विभिन्न याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं में वक्फ एक्ट में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है। उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों से वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 के पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी है।
इस संबंध में गजट अधिसूचना जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995 हो गया है। भारत के राजपत्र में प्रकाशित आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है, “वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (2025 का 14) की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 8 अप्रैल, 2025 को उक्त अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने की तिथि निर्धारित करती है।” मूल वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में संशोधन करने वाले इस कानून ने कई महत्वपूर्ण सुधार पेश किए हैं। इनमें वक्फ संस्थाओं से ट्रस्टों को अलग करना; संपत्ति प्रबंधन के लिए डिजिटल और तकनीकी उपकरणों की शुरुआत; बेहतर पारदर्शिता के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल का निर्माण; वक्फ संपत्ति को केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को समर्पित करने पर प्रतिबंध; समुदाय द्वारा ऐतिहासिक रूप से उपयोग की जाने वाली ‘वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता’ संपत्तियों की सुरक्षा; पारिवारिक वक्फ में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता आदि।