शामली: जनपद के एआरटीओ रोहित राजपूत की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाली एक वीडियो सामने आई है। वीडियो में एआरटीओ साहब ने कैमरा बंद करने के लिए कहा, लेकिन उन्हें सीधा जवाब मिला कि नही होगा। इसके बाद महकमें के एक चर्चित दलाल के चक्कर में पिछले करीब 18 महीनों से उलझा मामला एआरटीओ साहब की मौजूदगी में सिर्फ पांच मिनट में सुलझ गया।
शामली जिले में रेत के वाहनों द्वारा ओवरलोडिंग के चलते सड़क टूट रही हो, प्राईवेट बस मालिकों द्वारा आॅटो चालकों का उत्पीड़न हो या फिर एआरटीओ महकमें में फैली दलाली की जड़ें, इन सभी में एआरटीओ विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संदेह के घेरे में हैं। हैरत इस बात की है कि भ्रष्टाचार पर चोट पहुंचाने का दावा करने वाली सरकार ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को आखिर बर्दाश्त क्यों कर रही है। सरकार भले ही जनता के हित की सोचती हो, लेकिन ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की शैली जनता में सरकार के खिलाफ भी असंतोष पैदा कर रही है। शामली के एआरटीओ कार्यालय में खुद एआरटीओ के सामने बनी वीडियो ने जनता से भ्रष्टाचार की भेंट कराने वाले सरकारी अमले की जड़े उखाड़ दी हैं। वीडियो बनती रही और एआरटीओ साहब उसे बंद करने के लिए बोलते रहे, लेकिन जवाब मिला कि वीडियो बंद नही होगी और इसी वजह से करीब 18 महीनों से 39 हजार वसूलने के बावजूद भी विभाग के एक चर्चित दलाल के शिकंजे में फंसा मामला महज 5 मिनट में सुलझ गया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, शामली के कैराना क्षेत्र के गांव जगनपुर निवासी ग्रामीण महक सिंह ने करीब 18 महीने पहले अपनी टैक्सी गाड़ी को प्राईवेट में तब्दील कराने के लिए आवेदन किया था। बताया जा रहा है कि शामली एआरटीओ आॅफिस के एक चर्चित दलाल ने उनसे इस कार्य के लिए करीब 39 हजार रूपए लिए थे, लेकिन वह बार—बार एआरटीओ कार्यालय स्तर से काम नही होने का झांसा देकर आवेदक को टरका रहा था। पीड़ित ने करीब 18 महीने होने के बावजूद भी काम नही होने पर मामले के संबंध में शामली में विश्व हिंदू महासंघ के पदाधिकारियों से शिकायत करते हुए एआरटीओ कार्यालय के माध्यम से हो रहे भ्रष्टाचार की पीड़ा बताई। इसके बाद विश्व हिंदू महासंघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने एआरटीओ रोहित राजपूत से समय लेकर कार्यालय पर उनसे मुलाकात की।
वीडियो स्टार्ट कर हुई मुलाकात, हो गया काम
प्रकरण से जुड़ी वीडियो सामने आई है, जिसमें वीडियो बनाने पर एआरटीओ साहब ऐतराज कर रहे हैं, लेकिन प्रतिनिधिमंडल ने वीडियो बंद करने से इंकार कर दिया। इस दौरान एआरटीओ कार्यालय पर चर्चित दलाल को भी प्रतिनिधिमंडल ने एआरटीओ से रूबरू कराया। भ्रष्टाचार की पूरी कलई खुलने के बाद 18 महीनों से लंबित मामला सिर्फ पांच मिनट में ही सुलझ गया। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी एआरटीओ कार्यालय में सिर्फ ओर सिर्फ दलालों के माध्यम से ही ऊंचे दामों पर सभी कार्य होने के मामले सामने आ चुके हैं। कार्यालय पर दलालों का वर्चस्व इस तरह का है कि उनकी मर्जी के बगैर कोई भी काम नही होता है।