मेरठ। बाढ़ प्रभावी जिलों की सूची से मेरठ का नाम हटाने से भाकियू में रोष है। भारतीय किसान यूनियन का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों और जिले अधिकारियों द्वारा शासन को सही रिपोर्ट न दिए जाने से मेरठ को सूची में शामिल नहीं किया गया। जबकि पिछले वर्षों में बाढ़ से जनपद मेरठ के हस्तिनापुर, जानी, सरधना और सरूरपुर ब्लॉक के तीन दर्जन से अधिक गांवों की फसल डूबी है। पिछले वर्ष सर्वाधिक नुकसान बाढ़ से हुआ था जिसका कुछ क्षेत्र में मुआवजा भी दिया गया था। भाकियू ने इस मामले में आंदोलन की धमकी दी है।
भाकियू जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी का कहना है कि उनके द्वारा उच्च अधिकारियों से बाढ़ प्रभावित जिले में मेरठ को शामिल कराने की मांग लगातार की जा रही है। भारतीय किसान यूनियन नेता ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा बाढ़ प्रभावित जिलों की सूची जारी करते हुए अति संवेदनशील और संवेदनशील जिलों में सर्वेक्षण ओर विशेष बजट ओर प्राथमिकता में बाढ़ से बचाने हेतु इंतजाम की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि जिन जिलों की सूची जारी हुई है उनमें मेरठ का कोई जिक्र नहीं है बल्कि आसपास शामली सहारनपुर आदि जिले शामिल किए गए हैं जबकि पिछले वर्षों में गंगा नदी ओर हिंडन के उफान ने मेरठ क्षेत्र में भारी नुकसान किसान की फसलों का किया था और कुछ ग्रामों में पानी घुस गया था।
लगभग गंगा नदी ने सात आठ किलोमीटर चौड़ाई में अपना रूप फैला लिया था ओर हिंडन ने भी किनारे बसे सभी ग्रामों में नुकसान किया था। जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि पिछले समय में गंगा नदी ओर हिंडन नदी ने भारी नुकसान मेरठ जनपद में किया जिसका आंदोलन के बाद सर्वे भी हुआ और गंगा नदी के कारण नुकसान का मुआवजा भी दिया गया।
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हिंडन क्षेत्र के मुआवजे की लगातार मांग पर अधिकारी दिलाने का आश्वाशन लगातार देते हैं। हमारे द्वारा पूर्व में मंडलायुक्त, जिलाधिकारी मेरठ से बाढ़ नियंत्रण की मांग की गई। हिंडन की सफाई को लेकर पिछले सप्ताह मंडलायुक्त को ज्ञापन दिया गया है। परन्तु जनपद के जनप्रतिनिधि, अधिकारियों द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की सुध न लेते हुए उदासीनता दिखाई जा रही है। इसका ही नतीजा है मुख्यमंत्री द्वारा सूची विशेष निगरानी में भी मेरठ जनपद का जिक्र नहीं है।