मेरठ। हस्तिनापुर कस्बे के वानिकी प्रशिक्षण केंद्र में गंगा संरक्षण के लिए एक दिवसीय गंगा समिति बैठक एवं प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें कई विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि जिलाधिकारी दीपक मीणा रहे।
विश्व प्रकृति निधि के परियोजना अधिकारी संजीव यादव ने कछुआ संरक्षण की जानकारी दी। जिसमें उन्होंने कहा कि गंगा को साफ स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए कछुए की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही इसके संरक्षण से विलुप्त हो रही कछुए की प्रजाति को भी संरक्षण मिल रहा है।उन्होंने बताया कि 2013 में हस्तिनापुर के मखदूमपुर गंगा घाट से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरु हुआ यह अभियान अब वृहद रूप ले चुका है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कछुआ संरक्षण कार्यक्रम मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, अमरोहा, हापुड़ व संभल में संचालित है। कछुओं के अंडों को संरक्षित करने के लिए मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर व बुलंदशहर में गंगा किनारे हैचरी लगाई गई है।
उन्होंने बताया कि भीमकुंड गंगा घाट के आसपास जिन स्थानों पर कछुओं के अंडे बहुलता में पाए जाते थे, उन स्थानों पर हाल ही में वन और राजस्व विभाग की टीम ने अभियान चलाकर किसानों के कब्जे से हजारों हेक्टेयर सरकारी भूमि को कब्जा मुक्त कराया है। इस अवसर पर डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि परियोजना में गंगा के तटीय ग्रामों के किसानों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
प्रशिक्षण केंद्र में उन्होंने जलीय जीव मगरमच्छ, घड़ियाल, डॉल्फिन व कछुआ आदि की संरचना देखी और उनके रहन-सहन के बारे में जाना। परियोजना अधिकारी संजीव यादव ने जिलाधिकारी को कछुओं की हैचरी का निरीक्षण कराया। कार्यक्रम में एडीएम ई अमित कुमार, एसडीएम अखिलेश यादव व रेंजर नवरत्न सिंह आदि मौजूद रहे।