तनाव व्यक्ति के मनोदैहिक तंत्र की एक ऐसी अवस्था है जिसमें वह अपने संवेगों एवं मांसपेशियों में जकड़ाहट महसूस करता है। तनावग्रस्त व्यक्ति का मन एवं शरीर दोनों ही दु:खी रहते हैं जिसके कारण वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह कोई भी कार्य भी सुचारू रूप से नहीं कर पाता। वह प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करता है। उसके अंगों में कंपन होने लगता है। उसमें भय, चिंता, बेचैनी, घबराहट आदि के लक्षण विद्यमान रहते हैं। वह सदैव थका-थका सा रहता है, जिसके कारण उसका मन किसी कार्य में नहीं लगता।
तनाव के कारण:- तनाव के अनेक कारण हो सकते हैं परंतु मुख्य कारण आवश्यकता से अधिक कार्य का बोझ, प्रतिस्पर्धा के कारण किसी से ईर्ष्या, भय, बेचैनी, क्रोध एवं द्वेष हैं। इन सभी का मानव के नाड़ीमंडल पर बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। विलासिता पूर्ण जीवन, शारीरिक कार्य से परहेज और स्वाद के वशीभूत होकर निष्प्राण खाद्य के कारण मनुष्यों का पाचनतंत्र शिथिल हो जाता है जिसके कारण उनका उचित पोषण नहीं हो पाता और थोड़ी सी भी विपरीत परिस्थिति आने पर वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
तनाव का शरीर पर प्रभाव:- तनाव की स्थिति में शरीर की अन्त: स्रावी ग्रन्थियां अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाती। विशेष तौर से पियूषिका ग्रन्थि जिसे शरीर की नियामक ग्रन्थि भी कहते हैं, अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाती जिससे शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर की पाचन क्रिया मंद हो जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है और शरीर की अन्य ग्रन्थियां भी शिथिल हो जाती हैं और शरीर निष्क्रिय हो जाता हैं
तनाव से मुक्ति:- तनाव मुक्ति के लिए सबसे प्रथम गलत दृष्टिकोण से सोचना बन्द करना होगा। उसके बाद मालिश, प्रात:काल एवं सायंकाल आधा या एक घण्टा नित्य टहलना, ठंडे जल से स्नान करना तथा सुपाच्य भोजन ग्रहण करना चाहिये। योगासनों का शरीर पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ता है। योगासनों का प्रभाव शरीर की अन्त:स्रावी ग्रन्थियों पर ज्यादा पड़ता है जिससे उनकी क्रियाशीलता नियमित हो जाती है।
पदमासन, मयूरासन, सर्वांगासन, शीर्षासन, एवं धनुरासन तनाव से मुक्ति के लिए अचूक अस्त्र माने जाते हैं। प्राण जप (ओम) का जाप भी तनाव से मुक्ति के लिए रामबाण माना गया है। सिद्धासन में बैठ कर पांच या सात बार नित्य दिन में दो समय प्रणव जप करने से तनाव से पूर्ण मुक्ति मिल जाती है, यह योगियों का अनुभव है। शंख एवं घण्टे की मन्द ध्वनि से भी मनुष्य की पियूषिका ग्रन्थि उत्तेजित होती हैं अत: इनके श्रवण से भी मन को शान्ति प्राप्त होती है। इसके साथ-साथ श्वास-प्रश्वास का ध्यान तनाव से मुक्ति के लिए उत्तम माना गया है।
– डॉ. सत्यवीर सिंह