नयी दिल्ली। केन्द्रीय जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सरकार देश के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्राें के विकास को प्राथमिकता को दे रही है।
मुंडा ने सोमवार रिपीट सोमवार को उनके आवास पर सीमावर्ती गांवों से आये 200 से अधिक सरपंचों के साथ मुलाकात में कहा कि सरकार ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 विकासखंडों के चिह्नित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।
मुंडा ने सपत्नीक आये इन मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा, “ सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं। देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी है। देश खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी लगातार निगरानी कर रहे हैं। सत्रह से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है। मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित चौबीसों घंटे बिजली, मोबाइल फोन एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा, उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा। ”
इस अवसर पर जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का उल्लेख किया और कहा, “ जनजातीय कार्य मंत्रालय सीमावर्ती क्षेत्रों में कई योजनाओं और पहलों को लागू कर रहा है, चाहे वह अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान हो या अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का निर्माण या गैर सरकारी संगठनों को अनुदान हो या फिर पीएम-आदि आदर्श ग्राम योजना हो। ”
इस अवसर पर कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 200 से अधिक सरपंचों/ग्राम प्रधानों ने भाग लिया। प्रत्येक राज्य से एक-एक सरपंच ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के बारे में अपने विचार साझा किए।