नोएडा। नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव सरन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हैसिंडा प्रोजेक्ट से जुड़े करोड़ों रुपये के बहुचर्चित भूमि घोटाले में पूछताछ के लिए समन जारी किया है। इससे पहले इसी मामले में ईडी ने पूर्व आईएएस अधिकारी रमारमण से आठ घंटे तक पूछताछ की थी।
क्या है हैसिंडा प्रोजेक्ट घोटाला?
बसपा शासनकाल में, नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में हैसिंडा प्रोजेक्ट प्रा. लि. को लगभग 36,000 वर्ग मीटर भूमि टाउनशिप विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी। आरोप है कि कंपनी ने न केवल निवेशकों की राशि हड़प ली, बल्कि अथॉरिटी की अनुमति के बिना और बिना नियमानुसार भुगतान किए, भूमि का बड़ा हिस्सा प्रतीक ग्रुप को बेच दिया।
पिछले वर्ष ईडी ने हैसिंडा ग्रुप के कई ठिकानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए थे। इसके बाद से परियोजना से जुड़े तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ का सिलसिला जारी है।
संजीव सरन की भूमिका संदेह के घेरे में
संजीव सरन ने 15 सितंबर 2005 से 16 मई 2007 और 4 मई 2012 से 21 जनवरी 2013 तक नोएडा अथॉरिटी के सीईओ के तौर पर कार्य किया था। उनके कार्यकाल के दौरान भूमि आवंटन से संबंधित गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके चलते अब उन्हें जांच के दायरे में लाया गया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संजीव सरन और तत्कालीन चेयरमैन राकेश बहादुर को नोएडा अथॉरिटी से हटाने का आदेश दिया था, जब 2005-07 के बीच होटल प्लॉट आवंटन में 4,721 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था।
ईडी की छापेमारी में मिले भारी नकदी और संपत्ति के सबूत
इस घोटाले की जांच के दौरान ईडी ने पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास पर छापा मारा था, जहां से 1 करोड़ रुपये नकद, 12 करोड़ रुपये के हीरे, 7 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए थे।
पूर्व आईएएस अधिकारी रमारमण ने अग्रिम जमानत के लिए विशेष अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसका ईडी ने विरोध किया। अब संजीव सरन से पूछताछ की तैयारी है, और उन्हें जल्द ही दोबारा तलब किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
मनी लॉन्ड्रिंग की धाराओं में चल रही जांच
यह पूरा मामला नोएडा अथॉरिटी के पूर्व अधिकारियों द्वारा बिल्डर्स को अनुचित लाभ पहुंचाने, नियमों को ताक पर रखकर भूमि आवंटन करने और सरकारी जमीन के दुरुपयोग से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच प्रवर्तन कानून और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कर रही है।