जबलपुर। इंदौर की हिंदू युवती और जबलपुर के सिहोरा के हसनैन अंसारी की शादी के मामले में शुक्रवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैथ और वरिष्ठ न्यायाधीश विवेक जैन की युगल पीठ ने गत 22 अक्टूबर को दिए एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी है।
दरअसल, युवक-युवती ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर कहा था कि 12 नवंबर को हमारी शादी तय है। हमें सुरक्षा दी जाए। इस मामले में उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने गत 22 अक्टूबर को प्रेमी युगल को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश पुलिस अधीक्षक को दिए थे। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि दोनों अलग-अलग रहेंगे। एक-दूसरे से संपर्क नहीं करेंगे।
हाईकोर्ट की एकलपीठ के इस फैसले को युवती के पिता ने हाईकोर्ट में ही चुनौती दी थी। शुक्रवार को इस पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 2023 में मुस्लिम लड़के की हिंदू लड़की से शादी के एक अन्य मामले में जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। जिसमें कहा था कि मुस्लिम लड़का या फिर मुस्लिम लड़की की दूसरे धर्म में शादी नहीं हो सकती। सेक्शन चार स्पेशल मैरिज एक्ट के हिसाब से शादी नहीं हो सकती।
याचिकाकर्ता के वकील अशोक लालवानी ने बताया कि जस्टिस विशाल घगट के ऑर्डर पर सुनवाई करते हुए 12 तारीख को होने वाली शादी से जुड़े आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। मामले पर अगली सुनवाई अब दो सप्ताह बाद होगी।
युवती के पिता के वकील अशोक लालवानी ने बताया कि ऐसे ही एक मामले में 2023 में जस्टिस जीएस अहलुवालिया ने एक जजमेंट दिया था। जिसमें उन्होंने कमेंट किया है कि मुस्लिम लड़के या लड़की की हिंदू लड़के या लड़की से शादी नहीं हो सकती है, क्योंकि स्पेशल मैरिज एक्ट के अनुसार वह शादी इररेगुलर कहलाती है। जब यह मामला दूसरी सिंगल बेंच में लगा तो उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार खुद निर्णय ले कि अगर यह शादी विशेष विवाह अधिनियम के सेक्शन चार में आती है तो यह शादी कराए। जबकि सेक्शन चार में यह लिखा है कि किसी एक पक्ष की पत्नी है तो वह शादी नहीं कर सकता है। जबकि मुस्लिम 4 शादी कर सकता है। सेक्शन 19 में स्पेशल मैरिज एक्ट कहता है कि अगर ऐसी शादी होगी तो लड़की के अपने पेरेंट्स से सारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे।
ऐसे में विशेष विवाह अधिनियम के सेक्शन 2, 4 और 19 के हिसाब से शादी नहीं हो सकती है। हमने सिंगल बेंच के ऑर्डर को डिविजनल बेंच में रीट अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। सारे पक्षों को नोटिस जारी हो चुका है। सिंगल बेंच के ऑर्डर पर स्टे लगा हुआ है। अब स्टे लग चुका है और जस्टिस आहलुवालिया का ऑर्डर पहले से लागू है, ऐसे में मेरे हिसाब से यह शादी नहीं हो सकती है।
इंदौर निवासी युवती और सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए कलेक्टर जबलपुर कार्यालय में आवेदन किया था। उसके बाद से लड़की पक्ष और धार्मिक संगठन के लोग विरोध कर रहे हैं, जिसके कारण दोनों को अपनी जान का खतरा है। एकलपीठ ने मामले की सुनवाई चैंबर में की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बताया कि दोनों के बीच विगत चार साल से प्रेम संबंध है। एक साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में है। दोनों अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं। लड़की के परिजनों ने विरोध करते हुए पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुआ विवाह भी विशेष समुदाय के एक्ट के तहत मान्य नहीं होगा। मुस्लिम समाज में अग्नि व मूर्ति पूजन करने वालों से विवाह मान्य नहीं है।
इंदौर की युवती जबलपुर निवासी हसनैन अंसारी (29) के साथ इंदौर में प्राइवेट जॉब करती थी। दोनों एक-दूसरे को तीन साल से जानते हैं। युवती के परिजन को 16 अक्टूबर को लेटर मिला। लिखा था कि वह रजिस्टर्ड मैरिज कर रही है। इस लेटर के फौरन बाद युवती के भाई ने इंदौर के राउ थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई। युवती के भाई का कहना है कि 4 अक्टूबर को वह घर से यह कहकर निकली कि भोपाल की एक कंपनी में जाब लग गई है। 15 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे अचानक उसका मोबाइल बंद हो गया। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह केस लव जिहाद की तरफ जा रहा है। जिस तरह उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस प्रोटेक्शन मांगा है, उससे साफ है कि वह किसी के दबाव में आकर यह सब कर रही है। हसनैन अंसारी का पूरा परिवार घर में ताला लगाकर गायब हो गया है। उसका परिवार भी बहन को गायब करने में शामिल है।