रांची। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन शुक्रवार शाम करीब चार बजे होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से बाहर निकले। इसके बाद उन्होंने अपने पिता शिबू सोरेन और माता रूपी सोरेन से उनके मोरहाबादी स्थित आवास पर पहुंचकर मुलाकात की। सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “षड्यंत्र रचकर और झूठी कहानी गढ़कर मुझे पांच महीने तक जेल में रखा गया। अंततः न्यायालय के आदेश पर राज्य की जनता के बीच हूं।
न्यायालय का जो आदेश आया है, वह देखने-समझने लायक है। हमने जिस लड़ाई का संकल्प लिया है, उसे मुकाम तक पहुंचाएंगे।” सोरेन ने कहा कि न्यायालय के आदेश का पूरा सम्मान है, लेकिन न्याय की प्रक्रिया का लंबा खिंचना चिंता की बात है। आज देश में सरकार के खिलाफ बोलने वाले राजनेताओं, समाजसेवियों, लेखकों, पत्रकारों की आवाज को सुनियोजित तरीके से दबाया जा रहा है। जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार दोपहर सोरेन की जमानत मंजूर की थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “कोर्ट के समक्ष अब तक जो तथ्य लाए गए हैं, उसमें यह मानने का कोई आधार नहीं है कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी हैं।”
हाईकोर्ट का ऑर्डर जारी होने के बाद रांची सिविल कोर्ट में उनके भाई बसंत सोरेन और कुमार सौरव ने 50-50 हजार रुपए के दो निजी मुचलके भरे। इसके बाद उन्हें रिलीज करने का ऑर्डर जेल भेजा गया। सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो उन्हें रिसीव करने के लिए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, राज्य सरकार के मंत्री हफीजुल हसन, झामुमो महासचिव विनोद पांडेय, प्रवक्ता तनुज खत्री सहित बड़ी संख्या में नेता-कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के बीच हेमंत सोरेन ने हाथ जोड़कर और हाथ हिलाकर सभी का आभार जताया।
हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में 31 जनवरी को करीब आठ घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उन्होंने ईडी की हिरासत में रात साढ़े आठ बजे राजभवन पहुंचकर सीएम पद से इस्तीफा दिया था। 1 फरवरी को उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेजा गया था। अब 149 दिनों के बाद वह जेल से बाहर आए हैं।