प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि क्या सरकारी मेडिकल काॅलेजों के विभागाध्यक्ष-प्रोफेसर निजी नर्सिंग होम में प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं ?
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कोर्ट ने सरकारी वकील से प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य उप्र लखनऊ से इस सम्बंध में 48 घंटे में जानकारी प्राप्त कर अगली तिथि 8 जनवरी को सरकार का पक्ष रखने का आदेश दिया है।
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कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य मेडिकल काॅलेजों में नियुक्त सरकारी डाक्टरों की निजी नर्सिंग होमों या दवा की दुकानों में बैठकर इलाज करने की जांच करने का भी निर्देश दिया है।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में गुर्दा रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अरविंद गुप्ता की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने दिया है।
मालूम हो कि रूपेश चंद्र श्रीवास्तव ने जिला उपभोक्ता फोरम में याची के खिलाफ शिकायत कर मुआवजे की मांग की है। इनका कहना है कि मेडिकल काॅलेज के प्रोफेसर याची ने प्राइवेट फोनिक्स अस्पताल में गलत इलाज किया।
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डॉ. गुप्ता ने याचिका दायर कर आपत्ति की कि जिला उपभोक्ता फोरम ने कोई आदेश नहीं दिया है। इसके बावजूद उसके खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में सीधे केस कर दिया गया जो पोषणीय नहीं है। साथ ही विवाद केवल 1890 रूपये को लेकर है। ऐसे छोटे मामले राज्य उपभोक्ता आयोग में नहीं ले जाये जा सकते।
कोर्ट ने याची की आपत्ति पर कहा कि बेसिक सवाल यह है कि क्या सरकारी डाक्टर प्राइवेट अस्पताल में इलाज कर सकता है या नहीं। याची ने मेडिकल काॅलेज प्रोफेसर होकर प्राइवेट अस्पताल फोनिक्स में मरीज का इलाज कैसे किया। इसे कोर्ट ने गम्भीरता से लिया और सरकारी डाक्टरों द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करने की जांच करने का आदेश दिया है।
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रूपेश चंद्र श्रीवास्तव ने अपनी पत्नी एकता को इलाज के लिए प्रयागराज स्थित फोनिक्स नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। शिकायतकर्ता का आरोप है कि नर्सिंग होम ने डॉ. अरविंद गुप्ता को इलाज के लिए बुलाया और फीस भी ली लेकिन इलाज गलत हुआ। दम्ंपत्ति ने न्याय के लिए राज्य उपभोक्ता आयोग में दावा किया।