प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हापुड़ की सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड कम्पनी द्वारा बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की धोखाधड़ी कर धन हड़पने की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सीबीआई को छूट दी है कि यदि मनी लांड्रिंग की गई हो तो प्रवर्तन निदेशालय की मदद लेकर नियमानुसार कार्रवाई करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मेसर्स सिम्भावली शुगर मिल लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में एन सी एल टी के आदेश को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि आरबीआई ने 1 जुलाई 2009 को सर्कुलर जारी कर सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि जहां पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की गई हो बैंक उसकी रिपोर्ट बैंकिंग सिक्योरिटी एवं फ्राड सेल को तुरंत दे। किसी बैंक ने इस गाइडलाइंस का पालन करना उचित नहीं समझा और लोन भुगतान न करने पर एनपीए घोषित याची कम्पनी को बिना लोन या किसानों का भुगतान किए लगातार सात बैंकों से 1300 करोड़ का लोन मिलता रहा।
केन कमिश्नर ने किसानों का वर्ष 2022-23 का 376 करोड़ का भुगतान न करने वाली मिल को गन्ना खरीद की अनुमति जारी रखी और बैंक अधिकारियों ने लोन वसूली के ठोस प्रयास ही नहीं किए। कोर्ट ने कहा कि एक बैंक का धन हड़पने के बाद याची कम्पनी एक के बाद दूसरे बैंक से लोन लेकर हड़पती रही।
यह भी बताया गया कि इससे पहले उप्र की चीनी मिलों पर 1700 करोड़ बकाया था। 150 किसानो के एफआईआर दर्ज करने के बाद भुगतान हुआ। किंतु एफआईआर पर मिल के अधिकारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया गया। मिल डिफाल्टर हुई तथा खाता एनपीए घोषित किया गया और बिना वसूली का प्रयास किए बैंक अधिकारियों ने मिल को लोन देना जारी रखा। इसकी भी जांच की जानी चाहिए। केन यूनियन के अधिवक्ता ने कहा कि याची मिल की तीन इकाइयों पर किसानों का 379 करोड़ बकाया है।
कोर्ट ने कहा मिल, बैंक अधिकारियों सहित केन कमिश्नर भी जिम्मेदार है। केन कमिश्नर ने भी कोई ऐक्शन नहीं लिया। करोड़ों हड़पा गया और अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। वसूली नहीं की गई। कोर्ट ने कहा आरबीआई गाइडलाइंस के विपरीत बैंक अधिकारियों द्वारा लोन देने की भी जांच की जाय। कोर्ट ने महानिबंधक को यह आदेश सीबीआई डायरेक्टर नई दिल्ली को भेजने का आदेश दिया है।