Saturday, May 18, 2024

वैलेंटाइन डे विशेष -प्रेम की अभिव्यक्ति के पत्रों का इतिहास!

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जब से इस पृथ्वी पर जीवन है, तब से प्रेम है और प्रेम की अभिव्यक्ति है। जब मनुष्य ने भाषा को जन्म दिया होगा,
क्रियाओं व भावनाओं के लिए शब्‍दो की उत्तपत्ति की होगी तथा उन शब्‍दों के लिए लिपि बनाई होगी ,तभी से लिखे जाते
रहे है प्रेम पत्र भी।क्योंकि अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम प्रेम पत्र रहे है।
दुनिया का पहला प्रेम पत्र  रुक्‍मणि ने श्रीकृष्‍ण को लिखा था,उन्होंने एक पत्र लिखकर अपनी सखी सुंनदा के हाथों
श्रीकृष्ण को भिजवाया था। इसका उल्लेख भगवतपुराण के 52वें अध्याय में आता है। भगवतपुराण कृष्‍ण की भक्ति में
लिखा गया संस्‍कृत महाकाव्‍य है। जिसका रचनाकाल 800 से 1000 ईस्‍वी के बीच का बताया जाता हैं।प्रेम पत्र का दूसरा
लिखित प्रमाण प्राचीन मिस्र में मिलता है। प्राचीन मिस्र की विधवा रानी आनखेसेनामुन ने हिजीत के राजा को पत्र लिखकर
प्रार्थना की थी कि वह अपने किसी एक पुत्र को मिस्र भेज दे और उसका विवाह आनखेसेनामुन के साथ कर दे।

प्रेम पत्र का प्रमाण प्राचीन चीन के सांहित्य में भी मिलता है, चीन में लड़की की इच्छा के विरुद्ध माता-पिता उसका अपनी
मर्जी से विवाह तय कर देते हैं तो वह अपने बचपन के दोस्‍त को एक प्रेम पत्र लिखती है। इसी प्रकार  रोम सांहित्य में भी
बेहद मार्मिक और प्रेम अभिव्‍यक्तियों से भरे पत्रों के प्रमाण मिलते हैं।अमेरिका में कई दशक पहले हुए एक शोध के
अनुसार  संभवत: दो विश्‍व युद्धों के समय दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रेम पत्र लिखे और भेजे गए थे।

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हालांकि आधुनिकता की दौड़ में पत्र या फिर प्रेम पत्र लिखने की परम्परा अब समाप्त प्रायः हो गई है और प्रेम प्रदर्शन का यह माध्यम अब इतिहास बन गया है।सच कहा जाए तो प्रेम पत्रों का स्थान अब व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर,मैसेंजर इंस्टाग्राम आदि ने ले लिया है।हालांकि अभी भी वेलेंटाइन डे के नाम पर प्यार की अभिव्यक्ति का दिवस  मनाया जा रहा है।यानि अपनी प्रेम भावनाओं को शब्दों में प्रस्तुत करने के लिए एक विशेष अवसर जिसका हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है।

पूरी दुनिया मे 14 फरवरी को मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे का दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-
अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक शीर्ष पर  होती है, मगर पूर्वी देशों में भी
इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ के रूप में मनाया जाता है,जो
प्यार में डूबे लोगो के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ के नाम से जाना जाता है। इन
देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी

भावनाओं को प्रकट करते हैं।पाश्चात्य संस्कृति से जुड़े दुनिया के देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए
‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान  किया जाता है , साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को
उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को प्रदर्शित किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित तक कर दिया था।
हर वर्ष लगभग एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर मनाया जाता है। सैंट वेलेंटाइन के विषय में विभिन्न मत हैं ,सन 1969
में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की थी। प्रत्येक वर्ष 14 फरवरी को उनके सम्मान में यह
पर्व मनाने की घोषणा की गई थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।

सन 1260 में संकलित की गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है।
इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति
और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने
इस क्रूर आदेश का विरोध किया।उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है।

कहाजाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। उस दिन 14 फरवरी थी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा ।इस इतर भी एक सप्ताह पहले से विशेष दिन मनाने की परंपरा चली आ रही है,जो निम्न प्रकार है, रोज डे – प्यार के खूबसूरत हफ्ते की शुरुआत 7 फरवरी के  दिन से होती है। इस दिन आप जिससे प्यार करते हैं उन्हें गुलाब का फूल देकर अपनी भावनाओं से अवगत करवा सकते हैं। प्यार करने वाले जोड़े एक-दूसरे को लाल गुलाब देना पसंद करते हैं।
प्रपोज डे- दूसरा दिन प्रपोज डे का होता है। इस दिन प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे को प्रपोज करता है। वहीं आप चाहें तो गुलाब और
गिफ्ट के साथ उन्हें प्रपोज करने जा सकते हैं।
चॉकलेट डे- चॉकलेट तो सभी को पसंद होती है। वहीं लड़कियों को यह सबसे ज्यादा पसंद होती है। प्यार का इजहार करने के लिए चॉकलेट का सहारा लिया जा सकता है इससे सामने वाले की नाराजगी को पल भर में दूर किया जा सकता है वहीं अपने रुठे हुए प्रियजनों को इससे मनाया जा सकता है। इस दिन चॉकलेट देने से प्यार बढ़ता है।
टैडी डे- लड़कियों को टैडी बहुत पसंद होता है। टैडी को पूरी दुनिया में प्यार का प्रतीक माना जाता है। बचपन के साथ ही यह आपकी जवानी के भी साथी होते हैं।
प्रॉमिस डे- वादे हर रिश्ते की आधारशिला होते हैं। यह आपके हेल्दी रिलेशनशिप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन
आप जिससे प्यार करते हैं उनसे कोई खास वादा कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे ऐसा वादा ना कर बैठें जिसे आप बाद में
निभा ना सकें। इसलिए सोच-समझकर वादा दें।

किस डे- वैलेनटाइन वीक के छठे दिन को किस डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी युगल किस के जरिए अपने
प्यार का अहसास पार्टनर को करवाते हैं।
हग डे- गले लगाकर आप बहुत से रुठे हुए अपने प्रियजनों को मना सकते हैं। इस दिन आप गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगाकर अपनी भावनाओं का अहसास दिला सकते हैं। हग प्यार, केयर और प्रोटेक्शन को दर्शाता है।
वैलेनटाइन डे- यह दिन प्यार करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे के लिए स्पेशल
बनाने के साथ ही उसे कभी ना भूलने वाला दिन बनाने की कोशिश करते हैं। हालांकि कुछ लोग इस दिन को शोक दिवस के रूप मे भी मनाते है क्योकि इसी दिन प्रेम व विवाह के समर्थक सन्त वेलनटाइन को फांसी पर चढ़ाया गया था।यानि यह
पर्व प्यार के इजहार का अवसर है तो सन्त वैलेंटाइन को फांसी पर चढाये जाने के कारण शोक मनाने की घड़ी भी है।

लेकिन दुनिया भर के लोग शोक भूलकर इसके मूलपक्ष प्रेम का इजहार रूप में इस उत्सव को मनाते है।जिसका महत्व व चलन भारत मे भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है।प्रेम पत्रों के बजाए सोशल मीडिया के माध्यम से अब प्रेम पत्रों की अभिव्यक्ति होने लगी है।लेकिन अच्छा यह भी है कि हम अपने उस परमपिता परमात्मा को प्रेम करे जो सर्व सुखों का सागर है और हमारा पालनहार भी।
-डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

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