Wednesday, January 8, 2025

प्रशांत किशोर कैसे बने मसीहा से विलेन?

 

 

पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर छात्र पिछले हफ्ते से गर्दनीबाग में डटे हुए हैं। आंदोलन के दौरान पुलिस ने दो बार लाठीचार्ज किया, जिससे छात्रों का गुस्सा और भड़क गया। वहीं, इस विवाद में मशहूर कोचिंग संचालक और राजनीतिक नेता भी शामिल हो गए, लेकिन उनकी मौजूदगी से विवाद और गहराता गया।

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बीच आंदोलन में मशहूर कोचिंग संचालक खान सर और गुरु रहमान गुरुवार को छात्रों का समर्थन करने पहुंचे। छात्रों ने उन पर आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप लगाया और दोनों को गर्दनीबाग से वापस जाने पर मजबूर कर दिया।

 

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जन सुराज के संस्थापक और राजनेता प्रशांत किशोर (PK) गुरुवार को आंदोलन स्थल पर पहुंचे। PK ने छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की और कहा कि अगर छात्र सड़क पर उतरकर मार्च करेंगे, तो वह उनके साथ सबसे आगे रहेंगे। छात्रों ने उनसे एक दिन में परीक्षा रद्द कराने का अल्टीमेटम देने की मांग की, लेकिन PK ने इसे असंभव बताते हुए तीन दिनों का समय मांगा।

 

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छात्र अपनी मांगों को लेकर गर्दनीबाग में डटे रहे। कांग्रेस और राजद जैसे राजनीतिक दलों ने भी आंदोलन का समर्थन किया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह छात्रों से मिलने पहुंचे। PK ने आंदोलनकारियों को समर्थन जारी रखा लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

PK ने छात्रों से मिलकर गांधी मैदान में रविवार को ‘छात्र संसद’ आयोजित करने की घोषणा की। जिला प्रशासन ने कार्यक्रम के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि गांधी मैदान में सरस मेला खत्म होने के बाद वहां स्ट्रक्चर हटाने का काम चल रहा है। कार्यक्रम के लिए 45 दिन पहले आवेदन करना जरूरी होता है। पुलिस बहाली के लिए बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

जब PK शनिवार को छात्रों से मिलने पहुंचे, तो उन्हें छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। छात्रों ने कहा, “यही प्रशांत किशोर लाठी खाने हमारे साथ आए थे। अब बदतमीज व्यवहार कर रहे हैं।”PK ने जवाब दिया, “तुम लोगों में बहुत गर्मी आ गई है। गुंडागर्दी मत करो।” PK के इस बयान के बाद छात्रों में नाराजगी और बढ़ गई, जिससे आंदोलन का राजनीतिक रंग गहरा हो गया।

छात्र अपनी मांगों पर अडिग हैं और परीक्षा रद्द कराने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन और सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं आया है। PK और अन्य नेताओं की एंट्री ने आंदोलन को और जटिल बना दिया है।

क्या BPSC परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप सही हैं? प्रशासन का रुख छात्रों के प्रति कैसा होना चाहिए था? क्या नेताओं की उपस्थिति आंदोलन को कमजोर कर रही है?

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