Friday, May 16, 2025

सेहत का राज: पेट रहे साफ और तंदुरुस्त कैसे रहें

-सीतेश कुमार द्विवेदी
आज की व्यस्तता एवं जीवनशैली ने हमारा बहुत कुछ गड़बड़ा दिया है। हमारी दिनचर्या एवं हमारा जैविक चक्र
चौपट हो गया है जिससे शरीर की स्वाभाविक गतिविधियां एवं कार्यप्रणालियां पस्त हो गई हैं। पेट का साफ न
होना और कब्ज का बने रहना उनमें से एक हैं।
पेट को अनेक बीमारियों की जड़ माना जाता है, अतएव उसका साफ रहना जरूरी होता है। तभी जीवन स्वस्थ
व सुखी रहता है। सुबह सवेरे अच्छे से पेट का साफ होना स्वस्थ होने की सबसे बड़ी निशानी है। अगर शौच
जाने पर निकलने वाला मल कड़ा हो या उसके निकलने में बहुत जोर लगाना पड़े या मल की प्रकृति सामान्य
न हो, शौचालय में ज्यादा देर बैठना पड़े या बार-बार जाना पड़े तो इसे कब्ज या मलावरोध कहा जाता है। यह
वृद्धों को ही नहीं, युवा, बच्चों एवं महिलाओं को कभी भी हो सकता है।
सभी को अपनी जीवन अवधि के दौरान कभी न कभी कब्ज की विषम स्थिति से गुजरना पड़ता है। यह वृद्धों
के अलावा मोटे व्यक्तियों, सिटिंग जाब वालों एवं गर्भवती स्त्रिायों को ज्यादा होता है। दुकानों में कब्ज की
दवाएं सर्वाधिक बिकती हैं। सभी उपचार विधियों में इसकी ढेरों दवाइयां हैं। इसके लिए घरेलू से लेकर
ऐलोपैथिक दवाइयां भी हैं। सभी अपने को प्रभावी बताते हैं किन्तु मरीज की प्रकृति के अनुसार दवा का प्रभाव
बदल जाता है।
आंतों की गतिशीलता:-
खाया गया भोजन सबसे पहले आमाशय या पेट में जाता है। वहां से पाचक रसों के साथ मिलकर छोटी आंत
में चला जाता है जहां उसका अन्य तत्वों के साथ पूर्ण पाचन होता है। पाचन के पूरा हो जाने के बाद यहां से
आवश्यक रस या तत्व लिवर से अन्य अंगों की ओर चले जाते हैं जबकि बचा हुआ बेकार पदार्थ बड़ी आंत की
ओर खिसक जाता है।
यह बचा हुआ पदार्थ बड़ी आंत के रास्ते से मलमूत्र तंत्र के रूप में शरीर से बाहर निकलता है लेकिन यदि
पाचन कमजोर है तो सही समय पर यह बचा हुआ पदार्थ बड़ी आंत में नहीं पहुंच पाता। परिणामतः सुबह जब
मल त्याग की कोशिश होती है तो पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता। इसी को कब्ज कहते हैं।
कब्ज के कारण:-
वृद्धों को पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण कब्ज होता है। गर्भवती को गर्भ के दबाव के कारण कब्ज होता है।
युवाओं को लापरवाही के कारण कब्ज होता है। बच्चों को हड़बड़ी के साथ खाने पर होता है किन्तु अनेक दवाओं
के दुष्प्रभाव से भी कब्ज होता है। यह शुगर, पक्षाघात, थायराइड, बवासीर, हार्मोन्स, पार्किन्सन्स, आंत में
रसौली, खून की कमी आदि रोग होने पर एवं बिस्तर में लेटे रोगी को भी होता है।

धूम्रपान व तंबाकू आदि नशों के सेवन से भी कब्ज होता है। यह रेशेदार भोजन कम करने पर होता है और यह
पानी कम पीने की स्थिति में होता है। बिना भूख लगे भोजन करने, ज्यादा भोजन करने, मांस व गरिष्ठ पदार्थ
के सेवन से होता है। श्रम, व्यायाम की कमी एवं आरामपसंद जिंदगी के कारण होता है। यह जंक फूड एवं मैदे
की चीजें खाने पर होता है। सही डाइट न लेने, रूटीन गड़बड़ होने, नींद पूरी नहीं लेने व रात को देर तक जागने
पर भी कब्ज होता है।
तनाव, भय, चिंता एवं शोक आदि की स्थिति में कब्ज होता है। यह तली-भुनी मसालेदार चीजों, कोल्ड ड्रिंक्स व
सेक्स की अधिकता से होता है। ये तो कब्ज के प्रमुख आम कारण हैं। इसके अलावा अनेक और कारण भी होते
हैं जो कब्ज की स्थिति लाते हैं।
कब्ज से परेशानी:-
कब्ज के रहने पर हर काम अरूचिकर हो जाता है। मन खिन्न रहता है। पेट में गैस भर जाती है और भारी
लगता है। सिर दर्द, बदन दर्द, पेट दर्द होता है। विचित्र डकारें आती हैं। दुर्गंधित वायु निकलती है। श्वांस भी
दुर्गंध वाली हो जाती है। बवासीर हो सकती है। आलस होता है। धड़कन बढ़ जाती है। आंखें उनींदी रहती हैं पर
नींद गहरी नहीं आती। जीभ व मुंह में छाले हो जाते हैं। यदि उल्टियां हों, शरीर ऐंठे, मल मार्ग से खून जाए तो
डाक्टर से सलाह लें।
कब्ज से बचाव के उपायः-
फल-फूल, साग व सब्जी खाएं। सलाद व रायता लें। मैदा व पालिश चावल के स्थान पर चोकर युक्त आटा, रवा,
दलिया एवं भूरे पुराने चावल का उपयोग करें। पानी पर्याप्त पिएं। श्रम, व्यायाम करें। पैदल चलें। भूख लगने
पर ही सीमित व पौष्टिक भोजन समय पर करें। तली, भुनी, बासी, मसालेदार चीजों की जगह पर ताजा सादा
भोजन करें। मांस व गरिष्ठ भोजन का परित्याग करें। काम से थक कर रात को भरपूर गहरी नींद लें। बेकरी
आयटम, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, नान वेज न लें।
धूम्रपान, तंबाकू, मदिरा आदि नशे का सेवन कदापि न करें। वसा व वासना सीमित करें। यदि कोई रोग है तो
उसे डॉक्टरी सलाह से काबू में करें। अनावश्यक दवा न लें। कब्ज को खत्म करने दवा लेने की बजाय खानपान
को सही कर, रूटीन को सही करें। सवेरे उठते ही पर्याप्त पानी पिएं। दिन में नींबू नमक वाला गर्म पानी पिएं।
रात को पतला दूध व घी लें। गर्म दूध या गर्म पानी के साथ केस्टर आयल लें। सवेरे खाली पेट भीगा किशमिश
या अंजीर लें। चावल कम खाएं।
पेट साफ करने को लेकर मिथ्या धारणा:-
अपने यहां सभी चीजों में वैज्ञानिक धारणाओं के बजाय पग-पग में मिथ्या धारणाएं ज्यादा व्याप्त हैं। इसमें भी
जितनी मुंह, उतनी बातें जैसी स्थिति है। इनके मिथ्य के अनुसार किसी का बीड़ी या सिगरेट पीने से पेट साफ

होता है तो किसी को तंबाकू या गुटखा खाने से शौच होता है। कोई चाय पीने के बाद टायलेट जाता है तो ज्यादा
पढ़े-लिखे लोग न्यूजपेपर लेकर टायलेट जाते हैं और घण्टों वहां बिताते हैं।
शौचालय में ज्यादा देर बैठना व शौच के लिए ताकत लगाना उचित नहीं है। सोकर उठने के बाद पानी पीने पर
कुछ देर के भीतर शौच का प्रेशर आ जाए और पेट साफ हो जाए, यह सबसे बेहतर व सही है। एक ही बार में पेट
साफ होना सुखद होता है। अतएव रूटीन काम, खानपान, रहन-सहन, सही कीजिए और सेहत के साथ सुखदायी
जीवन बिताइए। (स्वास्थ्य दर्पण)

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

87,026FansLike
5,553FollowersFollow
153,919SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय