Wednesday, January 29, 2025

जीवन को सरस बनाता है हास्य रस

मानव  जब जीवन की एकरसता से ऊब जाता है, तब मनोरंजन चाहता है। मनोरंजन के माध्यम से वह हंसना चाहता है। जब काम करते करते मस्तिष्क थक जाता है, तब वह मनोविनोद चाहता है जो उसे हास्यरस प्रदान करता है।

मानव दिनभर की थकावट को भूलकर जब मित्र मंडली के साथ बैठकर कुछ गपशप करता है और कहकहे लगाता है तो वह फिर से तरोताजा हो जाता है। उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसने दिनभर कोई श्रम किया ही नहीं था।

हास्य रस मानव को ऐसा प्राकृतिक विटामिन प्रदान करता है जिसकी तुलना मानव निर्मित कृत्रिम विटामिन कदापि नहीं कर सकते। यदि कोई भी मनुष्य उस प्रवृत्ति का है, न किसी से बात करता है, न कभी हंसता है तो लोग उससे बात करना भी पसंद नहीं करते हैं।

उसके मित्र भी नहीं के बराबर होते हैं जबकि हंसोड़ व्यक्ति के अनगिनत मित्र होते हैं। उदास रहने का भी मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वह निराशावादी हो जाता है। हास्य मनुष्य की दैनिक आवश्यकता है। हंसने से मानव के शरीर से रक्त संचार होता है। रक्त की गति में तीव्रता आ जाती है। एकाकी व्यक्ति न हंस सकता है, न मनोरंजन कर सकता है। ऐसी अवस्था में हास्य रस की रचनाएं व्यक्ति का मनोरंजन कर सकती हैं।

वर्तमान समय में हिंदी साहित्य में हास्य रस का तेजी से संचार हुआ है। हास्य रस में असंख्य कविताएं, कहानी, नाटक, उपन्यास आदि लिखे गये हैं। रेडियो एवं टेलीविजन में हास्य रस के नाटक,  गीत, फिल्में और अन्य कार्यक्रम सुनाये एवं दिखाये जाते हैं।
मानव के निराशामय जीवन को हास्य रस आशामय बनाता है। इसके प्रभाव से मानव कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करता हुआ जीवन के दुर्गम पथ पर बढ़ता जाता है। हास्य मनुष्य को समस्त व्यथाओं से दूर ले जाता है। हास्य मानव के लिए विटामिन से भी अधिक प्रभावशाली है।

चिंताग्रस्त व्यक्ति जो कभी नहीं हंसते हमेेशा उदास बने रहते हैं। उनका स्वास्थ्य कभी ठीक नहीं रहता। जिस प्रकार मनुष्य दिन में एक दो बार व्यायाम करते हैं उसी प्रकार दिन में कम से कम चार या छ: बार खूब जोर से खिलखिलाकर हंसना चाहिए और हंसने के लिए हास्य रस की कविताओं, चुटकलों, लेखों और कहानियों को पढऩा चाहिए। इसके अतिरिक्त रेडियो, दूरदर्शन और फिल्मों में भी हास्य रस की सामग्री की बहुतायत होती है, अत: इन्हें सुनना और देखना चाहिए ताकि मन प्रसन्नता से भर उठे।

हास्य रस का समाज की कुप्रथाओं को दूर करने में भी विशेष योगदान रहा है। समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों का हास्य रस द्वारा बार-बार मजाक उड़ाया जाता है। मनुष्य की बुरी आदतों को दूर करने में भी हास्य रस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हास्य रस मानव के नीरस जीवन को खुशहाल बनाता है और उनके दुख एवं चिंताओं को दूर कर उसे जीने की प्रेरणा देता है। सचमुच हास्य रस जीवन के लिए विटामिन की तरह शक्तिदायक एवं प्रभावशाली है।
-सुनील परसाई

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