लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की नौकरी हमेशा के लिए जा सकती है। यूपी से लेकर दिल्ली तक उनके खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि जल्द ही उनकी बर्खास्तगी हो सकती है। किसी भी IAS अधिकारी को बर्खास्त करना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार को पहले निलंबन की विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाती है। जब केंद्र सरकार निलंबन से संतुष्ट हो जाती है, तब बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू होती है।
योगी सरकार ने ठानी बर्खास्तगी
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश देना चाहते हैं, और इसी कारण IAS अभिषेक प्रकाश की बर्खास्तगी को जरूरी माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश का नियुक्ति विभाग इस मामले में तेजी से काम कर रहा है और 36 पृष्ठों की निलंबन रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है।
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केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार ने चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की पूरी रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेज दी है। यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) को भेजी है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित किए जाने का कारणों का विस्तार से ब्योरा दिया गया है।
क्यों हुए निलंबित?
IAS अभिषेक प्रकाश पर सोलर कंपनी से सब्सिडी के एवज में घूस मांगने का आरोप है, जिसके चलते उन्हें 20 मार्च को निलंबित किया गया था। इसके अलावा, 2021 में लखनऊ के भटगांव में जमीन अधिग्रहण घोटाले में भी उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है।
भटगांव जमीन घोटाला
डिफेंस कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित जमीन में गड़बड़ी की गई। फर्जी पट्टों के जरिए जिनके पास जमीन नहीं थी, उन्हें मालिकाना हक दिया गया। नौकरशाहों और राजनेताओं के करीबी लोगों को फायदा पहुंचाया गया। कई बिचौलियों ने करोड़ों रुपये का मुआवजा हड़प लिया।
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आगे क्या होगा?
भटगांव मामले में अभिषेक प्रकाश को पहले ही आरोपपत्र दिया जा चुका है। निलंबन की विस्तृत रिपोर्ट DOPT को भेजी गई है। एक माह के भीतर मामले की स्थिति की जानकारी केंद्र को दी जाएगी। यदि निलंबन जारी रहता है, तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमेटी रिपोर्ट भेजेगी।