मेरठ। आज लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज, मेरठ के ऑडिटोरियम में विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन क्लिनिकल सोसायटी और एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के तत्वावधान में, विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नेहा के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. गौरी ने एनेस्थीसिया के ऐतिहासिक विकास और चिकित्सा क्षेत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से आईसीयू, ऑपरेशन थियेटर (ओटी), और दर्द प्रबंधन में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के योगदान को रेखांकित किया, जिससे चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो रहा है।
प्राचार्य, डॉ. आर. सी. गुप्ता, ने अपने संबोधन में मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों के प्रयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने डॉक्टरों द्वारा नए चिकित्सा ज्ञान और तकनीकों के साथ स्वयं को अद्यतन रखने की महत्ता पर भी बल दिया, ताकि मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विपिन धामा ने एनेस्थीसिया विभाग द्वारा पूर्व से वर्तमान तक की गई प्रगति के बारे में बताया।
कार्यक्रम में एनेस्थीसिया विभाग के आचार्य डॉ सुभाष दहिया ने एनेस्थीसिया विभाग द्वारा नियमित रूप से मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सेमिनार एवं जागरूकता कार्यक्रम किये जाने की जानकारी साँझा की।
इस विशेष अवसर पर एमबीबीएस छात्रों के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) प्रशिक्षण का भी आयोजन किया गया, जिससे उन्हें जीवन-रक्षक कौशल में दक्ष किया जा सके। यह प्रशिक्षण भविष्य के चिकित्सकों के व्यावसायिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में मरीजो की तत्काल और प्रभावी देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
कार्यक्रम में स०व०भा०प० चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ धीरज बालियान तथा मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष डॉ विपिन धामा, डॉ० सुभाष दहिया,डॉ अखिल प्रकाश, डॉ गौरव गुप्ता, डॉ अरविंद कुमार,डॉ योगिता सिंह, डॉ प्रीति सिन्हा, डॉ प्रीति राठी, डॉ. संगीता, डॉ. रवि, डॉ. अभिषेक, डॉ. प्रमोद, जूनियर एवं सीनियर रेसिडेंट, एम०बी०बी०एस० पाठ्यक्रम के विद्यार्थीगण, पैरामेडिकल स्टाफ आदि उपस्थित रहे।
उपरोक्त कार्यक्रम में न केवल चिकित्सा समुदाय के बीच एनेस्थेसियोलॉजी की महत्ता को रेखांकित किया, बल्कि डॉक्टरों और छात्रों के बीच ज्ञान-संवर्धन और कौशल-विकास के महत्व को भी रेखांकित किया गया।