गाजियाबाद। लोनी में एक साल पहले पत्नी की हत्या के दोषी पति अयूब को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अयूब के दो बेटे और तीन बेटियों ने अदालत में बताया था कि अब्बू ने अम्मी की हत्या फावड़ा से काटकर की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला था कि बहसी हो चुके अयूब ने पत्नी पर 14 बार फावड़े से वार किया था। जिला जज नेत्रपाल सिंह ने दोषी पर 26 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
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दोषी अयूब के बेटे अरहम ने रिपोर्ट दर्ज कराया था, जबकि उसके दूसरे बेटे अयान और तीन बेटियों महक, अर्शी और अतीशा ने अदालत को बताया था कि अब्बू ने अम्मी हत्या फावडे़ से की है। बड़ी बेटी अतीशा ने अदालत को यह भी बताया कि मम्मी फरजाना झपटा झपटी में गिर गई थी। फावड़ा पापा ने मम्मी के धार वाली तरफ से मारा था। फावड़ा पापा दुबकाकर (छिपाकर) लाए थे। जब तक मम्मी के थप्पड़ मार रहे थे, तब तक मैं बीच बचाव करने नहीं गई थी। जब पापा मम्मी को मार रहे थे, तो मैं बीच में आ गई थी। जिससे मेरे भी चोट लग गई थी।
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वहीं दूसरी बेटी महक ने अदालत को बताया कि 30 मार्च की रात को वह बहन अर्सी, भाई अयान और बहन अलीशा और अम्मी फरजाना व अब्बू अयूब के घर पर मौजूद थे। बड़ा भाई अरहम दुकान से चिली लाने गा था। वहीं बेटी अर्सी ने बयान में कहा है कि सभी भाई बहन, अम्मी फरजाना और अब्बू अयूब घर पर ही थे। रात 10 बजे भाई अरहम मोमोज लेने ठेले पर गया था। भाई के जाने के बाद पापा घर से बाहर गये और फिर अन्दर आये। फिर वह टायलेट करने गये। वहां पर ही हमारा फावड़ा रखा रहता था, उसे उठाकर अपने पीछे दुबकाकर लाये। अम्मी लेटी हुई थी। उन्होंने एकदम अम्मी पर वार करने शुरू कर दिये। मैं वहां मौजूद थी।उस समय सिलाई के कपड़े की कटिंग बना रही थी। बहन महक भी वहीं बैठी हुई थी। यह देखकर अम्मी को बचाने गयी, तो बीच मैं आ गयी, तो फावड़े से मुझे भी चोटें आ गयी।
मेरे अलावा मेरे भाई आयान के भी चोट आई थी। पापा रूके नहीं, पापा अम्मी के लगातार फावड़े से मारते रहे। कमरे में चारो ओर खून हो गया था। इसके बाद पापा घर से भाग गए थे, फिर मेरा भाई अरहम घर वापिस आया, तो मैंने उसे सारी घटना बताई। हम सभी भाई-बहन रो रहे थे। पुलिस मुझे ईलाज कराने के लिए अस्पताल में ले गयी थी। मेरे पापा मेरी अम्मी पर शक करते थे, इसलिए उनका आपस में झगड़ा होता रहता था। पुलिस वालो ने मेरे बयान लिये थे। पापा कम कमाते थे, इस बात पर और वैसे भी अक्सर लड़ाई झगड़ा चलता रहता था। घर में बच्चों के खाने खर्चे की बात को लेकर मम्मी पापा में कहा सुनी होने लगी, मम्मी कह रही थी, ईद आने वाली है, पांच बच्चें है, काम किया करो, बेलदारी के पैसो से काम नहीं चलेगा।