मेरठ। मेरठ में महिला आयोग की सदस्य के सामने महिलाओं ने शिकायतों का पुलिंदा रख गया। शिकायतकर्ता अधिकांश महिलाओं का दर्द था कि उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं होती है। अधिकारी उनको कल आना और परसों आना कहकर टालते रहते हैं। मेरठ में महिला आयोग की सदस्य ने जनसुनवाई की। इस दौरान आई शिकायतों में उन्होंने 15 शिकायतों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। जनसुनवाई खासतौर पर महिलाओं के लिए एक खुला मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित की गई। जिसमें वे बिना किसी डर के अपनी समस्याएं और शिकायतें सामने रख सकें।
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महिला आयोग की सदस्य मनीषा अहलावत ने बुधवार को सर्किट हाउस में जनसुनवाई का आयोजन किया। यह सुनवाई खासतौर पर महिलाओं के लिए एक खुला मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित की गई। जिसमें महिलाएं बिना किसी डर के अपनी समस्याएं और शिकायतें सामने रख सकें। मनीषा अहलावत ने महिलाओं से कहा, “डरिए मत, खुलकर बोलिए…! अब आपकी हर बात सुनी जाएगी!” जनसुनवाई के दौरान शिकायत करने आई महिलाओं ने गंभीर मामले उठाए। जनसुनवाई के दौरान आए अधिकांश मामले पुलिस प्रशासन से संबंधित थे। इनमें भी अधिकांश घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और सामाजिक उपेक्षा जैसे गंभीर मुद्दों से संबंधित थे। इन सभी मुद्दों ने अधिकारियों को गंभीरता से विचार करने पर मजबूर कर दिया। शिकायतों में कुछ ऐसे मामले थे, जहां महिलाओं ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और समाज में मिलने वाली असमानता के बारे में बताया।
महिला आयोग की सदस्य मनीषा अहलावत ने इस दौरान अधिकारियों से कहा, “महिलाओं की समस्याओं को हल्के में लेने की गलती न करें। हर केस का निस्तारण जल्द से जल्द किया जाए।” उन्होंने यह भी कहा, “महिला सुरक्षा सिर्फ कागजों में नहीं, ज़मीन पर दिखनी चाहिए। महिलाओं को यह विश्वास होना चाहिए कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा।” मनीषा ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला सुरक्षा के मामले में अब कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि समाज में महिलाओं के अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाना और महिलाओं को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी प्रशासन की है।